पशुओं की मौत के बाद सक्रिय हुआ प्रशासन

 


 


जौनपुर। मछलीशहर  विकास खंड के सराययुसुफ गांव में बने अस्थाई गौशाला में एक सप्ताह के अन्दर दर्जनों पशुओं के मरने के बाद जिला व तहसील प्रशासन की निद्रा टूट गई और सक्रिय हो गया।
जिलाधिकारी के निर्देश पर डीडीओ सभाजीत पाण्डेय ने गौशाला का निरीक्षण कर ईंट बिछवाने व साफ सफाई का काम शुरु करा दिया।
पशुओं के रख रखाव के लिये आवश्यक दिशा निर्देश दिया।  उक्त गौशाला में निराश्रित पशुओं रखरखाव के अभाव, बारिश व कीचड़ के कारण स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता के कारण दर्जनों गायों, बछड़े की मौत हो गई।जबकी एसडीएम मंगलेश दुबे, बीडीओ राजन राय पशुओं की मौत पर पर्दा डालते हुये अंजान बने रहे।
जब समाचार पत्रों में खबर प्रकाशित हुई तो जिलाधिकारी ने घटना को गम्भीरता से लिया ।तत्काल जिला पंचायत राज अधिकारी को शनिवार को मौके पर भेजा।
डीडीओ ने घटना की जानकारी लेकर तत्काल एडीओ शिव शंकर को कीचड़ युक्त गौशाला में ईंट बिछवाने का निर्देश दिया। दर्जनों मजदूर व 10 सफाई कर्मी लगाकर ईंट बिछाने व साफ सफाई का कार्य शुरु कर दिया गया।
बताया गया कि प्रति दिन 5 सफाई कर्मी गौशाला की साफ सफाई करेंगे। साडो व गायों को अलग रखने की व्यवस्था के साथ प्रतिदिन पशुओं की चिकित्सकीय परिक्षण व चारे, पानी की उचित व्यवस्था का निर्देश दिया गया


*बारिश से कई परिवार बेघर, प्रशासन मूक दर्शक* 


 जौनपुर। पिछले कुछ दिनों से हो रही  बारिश के कारण जनपद के कई गांवों में लोगों के आशियाने उजड़ गए। रिहायशी मकान और छप्पर के जमीदोज होने से जहां एक ओर घर गृहस्थी का सारा सामान नष्ट हो गया वहीं कई परिवार के सामने रहने की समस्या उत्पन्न हो गयी है।
खुटहन विकासखण्ड स्थित ओइना गांव में अतिवृष्टि से प्रभावित गरीब परिवारों की दयनीय है। बाढ़ से घिरा पीड़ित परिवार खुले आसमान के नीचे आ गया है। उक्त गांव निवासी पीड़ित श्याम रथी व बसन्त लाल पुत्रगण झरिहर ने आखों में आंसुओं का सैलाब लिए अपनी दशा बयां करते हुए कहा कि बुधवार को अनवरत हुई बारिश में हमारा रिहायशी कच्चा मकान व छप्पर तीन तरफ से बाढ़ के पानी से घिर गया।
पूरा परिवार जीवन बचाने के लिए खुले आसमान के नीचे भीगने को मजबूर हो गया और देखते हीं देखते दोनों परिवारों का आशियाना जलमग्न होने के साथ जमीदोज हो गया और उसमें रखा गया घर गृहस्थी का सामान नष्ट हो गया।
इसी गांव के वरूण देव शुक्ल पुत्र स्व. त्रिभुवन का रिहायशी मकान बारिश की भेंट चढ़ गया। हैरत की बात है कि सबका साथ सबका विकास का दम्भ भरने वाली भाजपा सरकार में पीड़ितों के आंसू पोछने वाला कोई नहीं है। तीन दिन बाद भी शासन प्रशासन के किसी  प्रतिनिधि द्वारा पीड़ित परिवार को तात्कालिक सहायता नहीं उपलब्ध कराई गई है।
गांव के निवर्तमान प्रधान विमलेश कुमार शुक्ला द्वारा हीं तात्कालिक सहायता के कुछ प्रयास किए जो पीड़ित परिवार के जीवन यापन के  लिए पर्याप्त नहीं है। बेघर परिवारों ने अपनी पीड़ा शासन प्रशासन तक पहुँचाने का प्रयास किया है। अब देखना यह है कि सम्बन्धित अधिकारी या प्रतिनिधि  की तन्द्रा कब भंग होती है और प्रशासन त्वरित आर्थिक सहायता उपलब्ध कराता है।