डीयू में सावरकर की मूर्ति पर बवाल, अब NSUI ने पोती कालिख, पहनाई जूतों की माला पर विवाद बढ़ गया। नैशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया के दिल्ली अध्यक्ष अक्षय लाकड़ा ने सावरकर की प्रतिमा पर जूतों की माला पहनाई और चेहरे को कालिख से पोत दी।
सावरकर की मूर्ति पर कालिख पोती
हाइलाइट्स:
- नॉर्थ कैंपस में लगीं वीर सावरकर, सुभाष चंद्र बोस और भगत सिंह की मूर्तियां
- डूसू प्रेजिडेंट शक्ति सिंह के कार्यकाल के आखिरी दिन एबीवीपी ने लगाई मूर्तियां
- अब एनएसयूआई के दिल्ली अध्यक्ष अक्षय लकाड़ा ने मूर्ति पर कालिख पोती
- एनएसयूआई के नेता ने भगत सिंह जिंदाबाद के नारे लगाए
नई दिल्ली
दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन (डूसू) इलेक्शन से पहले छात्र राजनीति तेज हो गई है। नॉर्थ कैंपस में मंगलवार रात लगी विनायक दामोदर सावरकर की मूर्ति पर विवाद बढ़ गया। बुधवार रात में नैशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया के दिल्ली अध्यक्ष अक्षय लाकड़ा ने सावरकर की प्रतिमा पर जूतों की माला पहनाई और चेहरे को कालिख से पोत दी। इस दौरान मौके पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने लाकड़ा को रोकना चाहा, लेकिन वे सफल नहीं हो सके।
बाद में एनएसयूआई के नेता ने भगत सिंह जिंदाबाद के नारे लगाए। इसका विडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नेता और डूसू अध्यक्ष शक्ति सिंह ने आर्ट फैकल्टी के गेट पर बिना अनुमति वीर सावरकर, सुभाष चंद्र बोस और भगत सिंह की प्रतिमा लगाई है।
एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव साएमन फारुकी ने कहा कि मैं सभी को याद दिलाना चाहता हूं कि यह वहीं सावरकर है जिसने भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया और तिरंगा फहराने से इनकार कर दिया। यह वही सावरकर है जिसने भारत के संविधान को ठुकरा कर, मनुस्मृति और हिंदू राष्ट्र की मांग की। सावरकर की तुलना शहीद भगत सिंह और सुभाष चंद्र बोस से करना हमारे शहीदों और उनके स्वतंत्रता संग्राम का अपमान है।
इस मसले पर शक्ति सिंह कह चुके हैं कि मूर्ति लगाने के लिए डीयू प्रशासन से कई बार मांग की गई, लेकिन अनसुनी हुई। सावरकर, भगत सिंह और सुभाष चंद्र बोस का स्वतंत्रता संग्राम में बड़ा योगदान था। उनसे छात्रों को प्रेरणा लेनी चाहिए। गौरतलब है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्र संघ का चुनाव 12 सितंबर को होगा। डूसू चुनाव का नोटिफिकेशन जारी हो गया है।
दिल्ली: 'आप' की स्टूडेंट विंग सीवाईएसएस के डूसू चुनाव लड़ने पर सस्पेंस
बताया जा रहा है कि जिस तरह से आम आदमी पार्टी ने 2015 और 2013 में विधानसभा चुनावों से पहले डूसू चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया था, उसी तरह से इस बार भी डूसू चुनाव लड़ना मुश्किल नजर आ रहा है। पार्टी के लिए इस समय विधानसभा चुनाव की तैयारियां सबसे अहम हैं।
आम आदमी पार्टी की स्टूडेंट विंग छात्र युवा संघर्ष समिति (सीवाईएसएस) इस बार डीयू स्टूडेंट्स यूनियन (डूसू) चुनाव न लड़ने का मन बना सकती है। पार्टी सूत्र भी इस बात के संकेत दे रहे हैं कि इस बार डूसू सेंट्रल पैनल पर संगठन अपने उम्मीदवार नहीं उतारेगा, हालांकि कॉलेजों में होने वाले चुनावों में सीवाईएसएस अपना भाग्य जरूर आजमाएंगे।
पार्टी के एक सीनियर लीडर का कहना है कि इस समय पूरी पार्टी दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों में लगी हुई है और पूरा फोकस विधानसभा चुनाव की रणनीति बनाने पर है। हालांकि सीवाईएसएस के पदाधिकारियों की जल्द ही एक मीटिंग बुलाई गई है, जिसमें स्टूडेंट्स लीडर्स की राय भी जानी जाएगी और उसके बाद अंतिम फैसला लिया जाएगा। पार्टी के सूत्रों का कहना है कि मीटिंग में उनकी तैयारियों के बारे में पूछा जाएगा और डूसू चुनाव को लेकर स्टूडेंट विंग के पास क्या प्लान है, इस पर भी चर्चा होगी।
बताया जा रहा है कि जिस तरह से आम आदमी पार्टी ने 2015 और 2013 में विधानसभा चुनावों से पहले डूसू चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया था, उसी तरह से इस बार भी डूसू चुनाव लड़ना मुश्किल नजर आ रहा है। पार्टी के लिए इस समय विधानसभा चुनाव की तैयारियां सबसे अहम हैं। सूत्र बता रहे हैं कि पार्टी के सीनियर लीडर इस बार डूसू चुनाव की तैयारियों को लेकर ज्यादा समय नहीं दे पाएं हैं और यही कारण है कि डूसू चुनाव लड़ने पर पार्टी ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है। अगले दो-तीन दिन में स्थिति पूरी तरह से साफ हो जाएगी।
आपको बता दें कि 2018 का डूसू चुनाव सीवाईएसएस ने आइसा के साथ मिलकर लड़ा था, हालांकि इस गठबंधन को सफलता नहीं मिल पाई थी। 2015 के बाद सीवाईएसएस ने 2018 में डूसू चुनाव लड़ा था। पिछले डूसू चुनाव में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद पर आइसा के कैंडिडेट्स उतरे थे और सचिव और संयुक्त सचिव के पद पर सीवाईएसएस ने चुनाव लड़ा था। 2015 में सीवाईएसएस ने पहली बार चुनाव लड़ा था और उस समय सीवाईएसएस को औसतन 8500 तक वोट मिले थे।