नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी एक सप्ताह की अमेरिकी यात्रा सम्पन्न कर भारत वापस लौटने वाले है। प्रधानमंत्री के इस सफल दौरे के बाद भारत में जश्न का माहौल है। उनका ढ़ोल नगाड़ों से स्वागत किया जाएगा। एयरपोर्ट पर उनके स्वागत के लिए हजारों की संख्या में लोग वहां मौजूद है। एयरपोर्ट से लेकर पीएम आवास तक लोग कतार में खड़े होकर पीएम नरेंद्र मोदी का स्वागत करेंगे। ये कतार करीब 3 किलोमीटर लंबी होगी। पीएम नरेंद्र मोदी के स्वागत के दौरान जुटने वाले लोग परंपरागत परिधान में खड़े दिखाई देंगे। प्रधानमंत्री के स्वागत में एयरपोर्ट पर कई बड़े सांसद एयरपोर्ट पर मौजूद है।
प्रधानमंत्री ने अपने दौरे के दौरान संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र को संबोधित किया। इससे पहले उन्होंने टेक्सास में भव्य 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम में भी हिस्सा लिया। मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र को हिंदी में संबोधित करते हुए स्वास्थ्य सेवा, जलवायु परिवर्तन को कम करने में भारत की उपलब्धियों और मानवता में विश्वास रखने वाले सभी लोगों के आतंकवाद से लड़ने के लिए एकसाथ आने की आवश्यकता पर अपने विचार जाहिर किए।
प्रधानमंत्री ने धरती को अधिक शांतिपूर्ण, समृद्ध और सामंजस्यपूर्ण बनाने की दिशा में काम करना जारी रखने की दिशा में भारत के रुख को भी साझा किया। मोदी ने यात्रा सम्पन्न करते हुए ''असाधारण स्वागत, गर्मजोशी और आतिथ्य के लिए'' अमेरिकी लोगों का शुक्रिया अदा किया और कहा कि इस यात्रा के दौरान उन्होंने विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लिया, जिससे भारत को बहुत लाभ होगा। मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का भारतीय समुदाय के कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए भी शुक्रिया अदा किया।
पीएम मोदी का निवेशकों को निमंत्रण
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत को एक बेहतर और आकर्षक निवेश स्थल के रूप में पेश करते हुए विदेशी निवेशकों को निवेश के लिये आमंत्रित किया और कहा कि इस समय भारत में एक ऐसी सरकार है जो कि उद्यमियों और पूंजी सृजित करने वालों का सम्मान करती है।उन्होंने कहा कि भारत में कॉरपोरेट कर में जो कटौती की गई है वह सुधारों की लंबी पारी की शुरुआत भर है। उन्होंने विदेशी उद्यमियों को विश्वास दिलाया की जो भी कमियां होंगी उन्हें दूर करने के लिये वह खुद एक पुल के रूप में काम करेंगे। उन्होंने कहा, "भारत की वृद्धि के चार अहम कारक है, जो एक साथ दुनिया में मिलने मुश्किल हैं। ये हैं - लोकतंत्र, जनसांख्यिकी (युवा आबादी), मांग और निर्णय लेने की क्षमता।