मां कुष्मांडा माता को कैसे करें प्रसन्न? कैसे बरसेगी मां कुष्मांडा की कृपा? किस समय करें मां कुष्मांडा की पूजा?

नवरात्र का आज चौथा दिन है। देवीभागवत पुराण के अनुसार इस दिन देवी के चौथे स्वरूप माता कूष्मांडा की पूजा करनी चाहिए। माता का यह स्वरूप देवी पार्वती के विवाह के बाद से लेकर संतान कुमार कार्तिकेय की प्राप्ति के बीच का है। इस रूप में देवी संपूर्ण सृष्टि को धारण करने वाली और उनका पालन करने वाली हैं। संतान की इच्छा रखने वाले लोगों को देवी के इस स्वरूप की पूजा आराधना करनी चाहिए। सांसारिक लोगों यानी घर परिवार चलाने वालों के लिए इस देवी की पूजा बेहद कल्याणकारी है।


 



कैसे देवी का नाम पड़ा कुष्मांडा


आचार्य रुपाली सक्सेना के अनुसार -कुष्मांडा का अर्थ होता है कुम्हड़ा। मां दुर्गा असुरों के अत्याचार से संसार को मुक्त करने के लिए कुष्मांडा अवतार में प्रकट हुईं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवी कुष्मांडा ने पूरे ब्रह्माण्ड की रचना की है। ऐसी मान्यता है कि पूजा के दौरान उनकी कुम्हड़े की बलि दी जाए तो वे प्रसन्न होती हैं। ब्रह्माण्ड और कुम्हड़े से उनका जुड़ाव होने कारण वे कुष्मांडा के नाम से विख्यात हैं।


मां कुष्मांडा का स्वरूप


मां कुष्मांडा को अष्टभुजा भी कहा जाता है क्योंकि उनकी आठ भुजाएं हैं। इनके हाथों में धनुष, बाण, चक्र, गदा, अमृत कलश, कमल और कमंडल है। वहीं एक और हाथ में वे सिद्धियों और निधियों से युक्त जप की माला धारण करती हैं। माता कुष्मांडा सिंह पर सवार होती हैं।


ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः॥


   ब्रह्मांड की रचना करने के कारण इन्हें कूष्मांडा कहा जाता है। ये सृष्टि की आदिस्वरूपा आदिशक्ति हैं। अष्टभुजा देवी के रूप में पूजी जाने वाली कूष्मांडा की अर्चना से साधक का मन अनाहत चक्र में स्थित होता है।


नवरात्र के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा अर्चना करने से आयु, यश,बल और आरोग्य की प्राप्ति होती है। आज का नवरात्रि का दिन वैसे तो सभी राशियों के लिए अच्छा है लेकिन तुला और धनु राशि के लिए काफी लाभकारी है। 


धार्मिक मान्यता के अनुसार, देवी कूष्मांडा को आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति का रूप माना गया है। कूष्मांडा मां की आराधना से भक्तों के सारे रोग, दोष मिट जाते हैं और उसके यश और शक्ति में वृद्धि होती है. सिंह पर सवार मां का स्वरुप काफी अद्भुत और निराला है।


कौन से रंग के कपड़े पहनें-मां कूष्मांडा को लाल रंग के कपड़े पसंद है।


ऐसा है मां का स्वरूप : कूष्मांडा देवी की आठ भुजाएं हैं, जिनमें कमंडल, धनुष-बाण, कमल पुष्प, शंख, चक्र, गदा और सभी सिद्धियों को देने वाली जपमाला है। मां के पास इनके अलावा हाथ में अमृत कलश भी हैर्। सिंह की सवारी करने वाली मां की भक्ति करने से आयु, यश और आरोग्य की वृद्धि होती है। 
ऐसे करें पूजा : कूष्मांडा देवी योग और ध्यान की देवी भी हैं। देवी का यह स्वरूप अन्नपूर्णा का भी है। उदराग्नि को शांत करने वाली देवी का मानसिक जाप करें। देवी कवच को पांच बार पढ़ना चाहिए। माता कुष्मांडा के दिव्य रूप को मालपुए का भोग लगाकर दुर्गा मंदिर में ब्राह्मणों को इसका प्रसाद देना चाहिए। इससे भक्तों की बुद्धि और कौशल का विकास होता है।