सद्गुरु अस्पताल बन्द होने की खबर को कवरेज करने पहुँचे पत्रकारों पर किया गया हमला

*BHU अस्पताल के OT टेक्नीशियन बी.एन.पाल की कलंक कथा जानिये*  


*BHU सर सुन्दर लाल हॉस्पिटल के OT टेक्नीशियन बी.एन.पाल पर हुआ मुकदमा दर्ज*


*BHU  का OT टेक्नीशियन डॉक्टर बनकर कर रहा था जिंदगियों से सौदा* 


*मिडिया में खबर प्रसारित होते ही CMO ने अस्पताल निरस्त्र कर दिया* 


*सद्गुरु अस्पताल बन्द होने की खबर को कवरेज करने पहुँचे पत्रकारों पर किया गया हमला*


*वाराणसी पुलिस ने भी आधा दर्जन पत्रकारों पर किया गलत मुकदमा दर्ज की सुनिए पूरी कहानी* 


सूत्रों के हवाले से पता चला था की थाना कैंट अंतर्गत नई बस्ती पाण्डेयपुर इलाके में श्री सद्गुरु हॉस्पिटल के नाम से एक हॉस्पिटल चलाया जा रहा था और इस अस्पताल में BHU सर सुन्दर लाल अस्पताल के यूरोलॉजी विभाग में OT टेक्नीशियन B.N.पाल खुद डॉक्टर बनकर मरीजों का इलाज का रहा है तभी इसकी सुचना पाकर वाराणसी के सम्मानित अखबार व चैनल व शोशल मिडिया में कार्यरत पत्रकार साथी सभी लोग अपने अपने तरीके से मौके की खबर को कवरेज करने के बाद इसकी सुचना वाराणसी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को दे दिया फिर इस मामले में  CMO ने बताया की इस मामले की एक टीम गठित की गयी है अगर जो इसमें दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ कार्यवाही की जायेगी मिडिया अखबार में इस खबर को प्रमुखता से प्रसारित व प्रकाशित करते ही बौखलाए डॉक्टर ने अपने साथियो और सहयोगियों को मामले में मैनेज करने के लिए सभी पत्रकारों को पैसे की लालच देना शुरू कर दिया उसके बाद फर्जी डॉक्टर बी.एन.पाल के सहयोगी जो अपने आपको दीपक पाल नाम बताया वह के ऑफिस पहुंचकर खबर को रोकने और पैसे की लालच देने लगा इनके बातो को इंकार किया तो उसे नागवार लगा और खबर को डिलीट करने की धमकी देने लगा और देख लेने की बात भी कही उसके बाद से लगातार कई लोगो द्वारा ऑफिस में भेजकर खबर को रोकने और पैसा लेने का दबाव बनाया जा रहा था तभी हमलोगो ने इस बात को मिडिया के सम्मानित अखबार सांध्यकालीन अखबार गांडीव व गूँज उठी रणभेरी में सूचित किया व प्रकाशित किया गया उसके बाद CMO वाराणसी से फिर इस मामले में जाँच क्या पाया इस बात की जानकारी दूरभाष के जरिये की गयी तो उन्होंने बताया की यह सद्गुरु अस्पताल का लाइसेंस किसी सर्जन प्रमेन्द्र के नाम पर है वो शिवपुर इलाके में किसी हॉस्पिटल में सर्जन है इस लइसेंस की निरस्त्र कर दिया गया है और बी.एन.पाल को यह हिदायत भी दिया गया की अब अस्पताल खुला तो मुकदमा पंजीकृत कराया जाएगा तभी मामले में खबर का फालोअप लेने पत्रकार साथी श्री सद्गुरु अस्पताल पहुँच गए तभी पत्रकारों द्वारा बंद अस्पताल का वीडियो बाहर रोड से बना ही रहे थे इसकी सुचना फर्जी डॉक्टर को मिली और वह बाइक पर सवार होकर अपने गुंडों के साथ अस्पताल पहुंचा तो मीडियाकर्मियों को देखकर हमला कर दिया और लेपटॉप तोड़ा गया उसके गुंडों द्वारा गले से चैन तक छिनैती किया और अस्पताल के बंद गेट के अंदर से महिला कर्मचारियों द्वारा ईटा पत्थर फेंककर मारा गया कुछ साथियों ने तो अपना जान बचाकर पांडेयपुर पुलिस चौकी पर पहुंचे और थाना प्रभारी कैंट को फोन पर घटना के बारे में सूचित भी तभी मौके पर पहुंची पुलिस ने ने दोनों पक्ष को थाना कैंट लाया और मामले को सूना और पत्रकार साथियों की तहरीर पर मुकदमा पंजीकृत कर दिया वो भी बिना जाँच किये फर्जी डॉक्टर के व उनके गुंडों व 3 महिलाओं के खिलाफ *धारा:-420,147,323,336,427,392,504,506* में मुकदमा पंजीकृत कर दिया गया है उसके बाद मेडिकल के लिए दिन दयाल अस्पताल ले जाया गया सारे चोटिल पत्रकार साथियों को वहां पहुँचते ही देखा गया की फर्जी डॉक्टर बी.एन. पाल अपने गुंडों के साथ वहाँ पहुंचकर लड़ने की काफी कोशिश की और वहीँ मेडिकल बनाने वाले डॉक्टर को मेडिकल गलत बनाने और मेडिकल ना बनाने की बात कही इस मनबढ़ फर्जी डॉक्टर का मेडिकल बनाने वाले डॉक्टर की वीडियो फुटेज भी बनाया गया उसके बाद सारे पत्रकार साथी पहुंचे थाना कैंट और FIR की कॉपी लेने वहाँ से निकले तो रात में पता चला की कैंट पुलिस की साजिश से सारे पत्रकारों पर मनगढंत कहानी लिखवाकर सम्मानित पत्रकारों पर मुकदमा पंजीकृत कर दिया गया वो भी गंभीर धाराओं में अब आपको बताते चले की इस बात की सुचना पाते ही क्षेत्राधिकारी कैंट अनिल कुमार के कार्यालय सारे पत्रकार साथी पहुंचकर अपनी आपबीती बताया और उसके बाद क्षेत्राधिकारी महोदय द्वारा सारा मामला संज्ञान में लेकर मामले की जानकारी ली पत्रकारों को आश्वासन भी दिया गया अब बात की जाये पत्रकारों पर हुए मुकदमे दर्ज की सबसे पहले इस मुक़दमे में जिनका नाम दिया गया है अब आपको बताते चले की इस मुक़दमे की तहरीर की तहरीर जिसने भी दिया उस व्यक्ति को कोई नहीं पहचानता उसका नाम है|  


*(आरोप_1)* संदीप पाल पुत्र बाबूराम पाल का कहना है की श्री सद्गुरु हॉस्पिटल का संचालक है| 


*(स्पस्टीकरण)*:--अगर यह अस्पताल का संचालक है तो अस्पताल का लाइसेंस इसके संदीप पाल के नाम से क्यों नहीं था और CMO ने अस्पताल का लाइसेंस सर्जन प्रमेन्द्र का क्यों निरस्त्र किया 


*(आरोप-2)* प्रार्थी के अस्पताल में सोना देवी (हरिजन) है और वो अस्पताल की कर्मचारि तैनात है और पत्रकारों द्वारा बंद अस्पताल में गेट को धक्का देकर तोड़ दिए और अंदर घुस आये कर्मचारी सोना देवी को चमारिन सियारिन जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए कहने लगे की शाली माधरचोद जल्दी बताओ डॉक्टर कहाँ हैं| 
*(स्पस्टीकरण)*:--लोहे का गेट भला कौन तोड़ सकता है वो भी दिन में साथ ही सोना देवी हरिजन है यह किस पत्रकार को मालुम था की व इतनी गन्दी गालिया दिया साथ ही अस्पताल निरस्त्र कर दिया गया तब ये कर्मचारियों का अस्पताल के अंदर क्या काम चल रहा था यानी अस्पताल में चोरी चुपके मरीजों का इलाज का शिलशिला जारी था साथ ही अस्पताल के बाहर लगे CCTV कैमरा खुद सच्चाई बता देगा की अंदर कोई गया था या नहीं वहां पर लगे कंपनी का सिक्युरिटी गार्ड भी बता देगा 


*(आरोप_3)* पत्रकार ने लेडीज कर्मचारी के छाती पर हाथ रख दिया तथा पत्रकार उसके साडी फाड़कर उसे अर्धनग्न करके अस्पताल के ऊपर चले गए बाथरूम में मकान मालकिन शर्मिला पाल पत्नी बैधनाथ पाल स्नान कर रही थी बाथरूम के दरवाजे को धक्का दे दिया दरवाजा खुल गया तभी कुछ पत्रकार मकान मालकिन के नहाते समय फोटोग्राफी करने लगे 


*स्पस्टीकरण*:--अगर CCTV फुटेज में चेक किया जाए की जिस कर्मचारी के छाती पर हाथ रखने और साड़ी फाड़ने की बात कही जा रही है घटना के पहले भी हरे कलर की साडी पहने है और थाने में जब पहुँची वो महिला तब भी वही हरे कलर की साडी पहनी है यानी पत्रकारों के कैमरा में भी साड़ी का कलर कैद है फर्जी डॉक्टर के CCTV फुटेज और थाने के CCTV फुटेज में साड़ी के कलर को और फाड़ने की जाँच किया जा सकता है और बाथरूम में मालकिन का शर्मिला पाल नहा रही थी तब पत्रकारों को कैसे पता की यही बाथरूम है और घर के अंदर आँगन सीढ़ियों पर लगे CCTV कैमरा को चेक किया जा सकता है की कोई पत्रकार अंदर गया या नहीं 
*(आरोप-4)* शर्मीला पाल के विरोध करने पर सारे पत्रकार बोले साले तुम्हारे पति से कई बार रंगदारी माँगा गया लेकिन वह शाला दिया नहीं हमलोगो को 5 लाख रुपया व 25 हजार रुपया महीना माँगा गया लेकिन हिला हवाली कर रहा है यदि पैसा नहीं मिला तुम्हारे पति व बच्चो को उठवा लेंगे और जान से मार देंगे जाते समय अस्पताल का LCD TV और घर में रक्खे बर्तन और अस्पताल के सामान को तोड़ दिये  
*स्पस्टीकरण* :--अगर शर्मिला पाल के पति से रंगदारी माँगा गया तो इसका कोई भी प्रमाण होना चाहिए या फिर ,जब कुछ पत्रकार ऊपर बाथरूम की ओर गए तो सारे पत्रकार का नाम कहाँ से आ गया ,और अस्पताल का LCD TV और घर में रक्खे बर्तन और अस्पताल के सामान को तोड़ दिये तो कौन सा सामान कहाँ-कहाँ रक्खा था आरोप लगाने के पहले फर्जी डॉक्टर के अस्पताल में जब पहली बार खबर बनाने के लिए सारे पत्रकार पहुंचे थे तो लगे CCTV कैमरे के एलसीडी टीवी में देखा गया था की मकान के चप्पे चप्पे पर कैमरा लगाया गया था इसका प्रमाण भी पास है|