कृष्ण के जन्म के 6 दिन बाद कंस ने पूतना को बुलाया था
दूतों ने कंस को बताया कि गोकुल में कई बच्चों ने जन्म लिया है, हो सकता है कृष्ण ने मथुरा में जन्म न लेकर गोकुल में जन्म ले लिया हो। तब कंस के आदेश पर कई राक्षस गोकुल में उत्पात मचाने आने लगे। हालांकि, चमत्कारिक रूप से सभी मारे गए। कंस को अहसास हो गया कि कोई गोकुल में ऐसा जरूर है, जिसका पता लगाने और उसे मरवाने के लिए कंस ने अपनी मुंह बोली बहन पूतना को याद किया।
वेष बदलने और राक्षसी माया रचने में माहिर थी पूतना
कहा जाता है कि पूतना में 10 हाथियों जितना बल था, सो वह अपने भाई के कहने पर गोकुल में बच्चों को मारने आई। कंस को लगता था कि वहां जो भी बच्चा होगा, उसे पूतना मार देगी और फिर संभावित खतरा दूर हो जाएगा। पूतना वेष बदलने और राक्षसी माया रचने में माहिर थी। वह अपने स्तनों पर विष का लेप कर बदले हुए वेष में नंदबाबा के भवन में जा पहुंची। उधर, उसे देखते हुए बाल-कृष्ण उसे पहचान गए। पूतना ने हंसते हुए यशोदा के सामने से कृण को गोद में उठाया और पलक झपकते ही वहां से रफ्फूचक्कर हो गई।
स्तनों पर विष का लेप कर सुंदर नारी बनकर भवन में घुसी
कृष्ण को लेकर पूतना गांव से बाहर आई और वहां अपने असली रूप में आकर स्तनपान कराने लगी। उसकी चिंघार और ठहाके सुन गोकुलवासी घबरा गए और जहां-तहां भागने लगे। उधर, उसकी गोद में ही कृष्ण ने उसके प्रांण खींच लिए। मरते वक्त उछलकर मथुरा से कई कोस की दूरी पर गिरी। पूतना के मरने पर बालरूपी कृष्ण वहीं घास पर पड़े खेलने लगे। कुछ देर बाद कृष्ण को ढूंढते हुए गोकुलवासी उधर आए, जहां पूतना पड़ी हुई थी। नंदबाबा ने कृष्ण को गोद में उठाया। तदोपरांत् नगरवासियों को माजरा समझ आया। सभी कंस के लिए बुरा-भला कहने लगे।
आज भी है वो जगह, जहां गिरी थी पूतना
जिस जगह पूतना ने कृष्ण को स्तनपान कराया था, उस जगह एक कुंड बन गया। पौराणिक तथ्यों के आधार पर, उस जगह को ही आज पूतना-कुंड कहा जाता है। वहां से कुछ दूरी पर अब एक गांव भी बसा हुआ है, जिसका नाम पदचिह्नों के नाम पर ही है। गांववाले ऐसा मानते हैं कि जब पूतना के प्राण निकले तो वो वहीं आकर गिरी थी।
कैसे पहुंचें पूतना-कुंड वाले गांव
भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़े स्थलों के लिए सबसे पहले आपको मथुरा पहुंचना होगा। जैसे- ट्रेन से मथुरा जंक्शन और यदि बस से आ रहे हैं तो आपको नए बस स्टैंड उतरना पड़ेगा। इन दोनों ही जगह से टैक्सी या ऑटो लेकर गोकुल की तरफ योद्धा मार्ग होते हुए पहुंचेंगे औरंगाबाद। फिर, वहां से सीधा गोकुल बैराज पार करते हुए गोकुल पहुंच जाएंगे। गोकुल की तरफ जाते हुए रास्ते में सबसे पहले आपको 'पूतना कुंड' मिलेगा।
पर्यटन विभाग ने 50 लाख दिए, फिर भी बदहाल
पूतना कुंड इन दिनों घास-फूंस और झाड़ियों के बीच रिक्त पड़ा है। बारिश के मौसम में यहां पानी भर जाता है, जबकि गंदगी भी फैली रहती है। वर्ष 2014-15 में उत्तर प्रदेश के पर्यटन विभाग ने 50 लाख रुपये की लागत से पूतना कुंड का पुनरोद्धार कराया था।