आध्यात्मिक कोतवाल की जय-जयकार से गूंजता रहा विंध्य परिक्षेत्र


मिर्जापुर । महालक्ष्मी स्वरूपा मां विन्ध्यवासिनी के श्रीचरणों में बसे मीर-जा-पुर (समुद्र की पुत्री यानि महालक्ष्मी) के धाम में देवसत्ता की सुरक्षा के शीर्षस्थ कोतवाल भैरवजी की जयंती पर धाम के त्रिकोण में स्थित भैरवकुंड से लेकर सिद्धमंदिर बूढ़ेनाथ, नगर के मध्य त्रिमोहानी चौराहे स्थित गणेशजी के मंदिर, नेपाल नरेश द्वारा स्थापित पंचमुखी महादेव में स्थित रुद्रभैरव, चिनिहवा इनारा सहित खजांची के चौराहे के पास श्री काली तंत्र आश्रम में जयकारों के बीच सविधि पूजन, श्रृंगार और मंत्रों का पाठ किया गया । अनेक स्थानों पर भंडारे का भी आयोजन हुआ । भैरवजी को भक्तों ने अपने नशा के प्रतीक के रूप में मदिरा भी चढ़ाया।


भैरवकुण्ड, कंतित भैरव एवं बूढ़ेनाथ में विद्वान संतों ने किया पूजन 
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पुराणों में वर्णित अष्टभुजा मंदिर की सीढ़ियों पर विराजते भैरवकुण्ड में विद्वान धर्माचार्य पं0 प्रबुद्धानन्द ने महाकाली, देश के मंदिरों में सबसे बड़े आकार के श्रीयंत्र तथा कालभैरव का पूजन किया । यहां न्यायमूर्ति, अधिवक्ता सहित दूरदराज से श्रद्धालु आए थे । मंत्रों के उद्घोष से भैरवजी की उपस्थिति का एहसास भक्तों को हो रहा था ।


तिल-तिल बढ़ते लाल भैरव में भण्डारा
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मान्यता है कि कंतित में स्थित लालभैरव विंध्यक्षेत्र के कोतवाल हैं । मां विन्ध्यवासिनी का दर्शन करने जाने के पहले इनसे निर्विघ्न दर्शन की अनुमति ली जाती है और थाने के पास स्थित बटुक भैरव को सूचित कर मंदिर से वापसी होती है । कंतित में महंत बालक गिरी अस्वस्थता के बावजूद भंडारे की व्यवस्था में लगे थे ।


विद्वान सन्त स्वामी योगानन्द की ज्ञानपूर्ण आराधना
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नगर के प्रमुख मंदिर बूढ़ेनाथ महादेव के प्रवेशद्वार पर स्थित भैरव का श्रृंगार जूनागढ़ आश्रम से दीक्षित विद्वान सन्त स्वामी योगानन्द खुद कर रहे थे । उन्होंने भैरव को प्रसन्न करने के लिए 'श्री कालभैरवाष्टकम्' का सस्वर पाठ किया । यहां बालसंत सुधानन्द गिरी, सुरेंद्र गिरी, रामनिहोर पांडेय, जलज नेत, सुशील मुसुद्दी,  विभाव पांडेय आदि ने मत्था टेका ।


नगर के त्रिमोहानी स्थित गणेश मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता
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त्रिमोहानी स्थित सिद्ध गणेश मंदिर में स्थित भैरवजी का पूजन इंदर माली के पुत्रगण पप्पू, राजू, राजेश ने किया । यहां दक्षिणमुखी मां काली का श्रृंगार किया गया । नगर के लोगों की मान्यता है कि यहां पूजन फलदाई होता है ।


श्री कालीतन्त्र आश्रम में परंपरागत पूजन
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वासलीगंज स्थित केदारनाथ भट्टाचार्य गली में स्थित उक्त आश्रम को स्व प्राणनाथ पांडेय ने जागृत किया है । दिवंगत होने के बाद उनके पुत्र राजकुमार पांडेय यह दायित्व निर्वाह कर रहे है । यहां शहर के जानेमाने लोग उपस्थित रहे जिसमें कांग्रेस के तपेतपाए नेता माता प्रसाद दुबे, आशुतोष दुबे एवं सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी सीताराम मेहरोत्रा शामिल थे ।


पारिवारिक परम्परा के तहत पंचमुखी में श्रृंगार 
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तिवराने टोला के जाने माने व्यवसाई स्व काशीनाथ गुप्त एवं स्व हरिनाथ गुप्त परिवार द्वारा सैकड़ों साल से इस मंदिर में भैरवजी को सजाकर पूजन अर्चन किया जा रहा है । इनके परिजनों में रामजीगुप्त, मनोज गुप्त, मनीष, श्यामजी एवं बुलबुल भक्तों की सेवा में लगे थे । यहीं से चन्दक़दमों की दूरी पर बरियाघाट गंगा तट पर स्थित भैरवजी की छटा अद्भुत थी । इसी के साथ चिनिहवा इनारा, घण्टाघर आदि स्थानों सहित कदम कदम पर स्थित मंदिरों में पूजन, श्रृंगार से नगर धर्म में आकंठ डूबा प्रतीत हुआ ।,