वाराणसी 29 नवंबर मोदी के संसदीय क्षेत्र के करीब वाराणसी के प्रशासन को केंद्र सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार ने वाराणसी के सभी छोटे बड़े तालाबों एवं को चिन्हित कर उन्हें अतिक्रमण मुक्त कराकर स्वच्छ एवं सुंदरीकरण करने का आदेश दिया था मगर नगर निगम प्रशासन 1 या 2 तालाबों को अतिक्रमण मुक्त कराकर अपना खानापूर्ति पूरी कर कर ले रही है ऐसा ही एक मामला आशापुर के आदर्श गांव में सैकड़ों साल पुरानी एक पोखरे की है जहां पर क्षेत्र एवं शहर की नाले की पानी को जोड़ दिया गया है जिससे तालाब में गंदगी की भरमार हो जाने से मच्छर ने अपना डेरा बनाया हुआ है जिससे डेंगू वगैरा गंभीर बीमारियां होने का खतरा मंडरा रहा है इसके अलावा संक्रमित रोग का खतरा बढ़ता जा रहा है क्षेत्रीय निवासियों का कहना था है कि एक समय था इस पोखरे का पानी बहुत ही स्वच्छ और सुंदर था जहां से गांव के लोग पानी लेकर घर में दाल पकाने के अलावा खाना भी बनाते थे और पीने का काम भी आता था वहीं गांव के ही एक बुजुर्ग कैलाश नाथ पांडे ने बताया कि यह पोखरा जमीदारी हुकूमत से बहुत पहले की समय है जो पोखरा के चारो ओर देवी देवताओं का मंदिर भी बना हुआ है जहां से लोग पानी लेकर उस मंदिर में पूजन अर्चन भी करते थे मगर अब वह बंद हो गया है इसी पोखरे पर लोग पहलवानी करते थे मगर अब इसकी गंदगी से सब कुछ समाप्त हो चुका है चुनाव के समय क्षेत्रीय नेता बहुत बड़े बड़े वादे करते हैं लेकिन चुनाव जीतने के बाद इनका पता नहीं रहता कई बार प्रशासनिक अधिकारी भी इस क्षेत्र का सर्वे कर खानापूर्ति करते हैं फिर भी इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है पूरे क्षेत्र की गंदगी इसी प्राचीन पोखरी में मिला दी गई है सैकड़ों साल पुरानी प्राचीन पोखरा के विषय में बुजुर्गों का कहना है की रामघाट, गायघाट, हनुमान घाट अंग्रेजों के समय से ही बना हुआ है यहीं पर गांव के लोग ही कोई बड़ा त्यौहार पड़ने पर जैसे छठ जिउतिया एवं अन्य त्योहारों के वक्त क्षेत्रीय लोग घाट की सफाई करके महिलाएं पूजन अर्चनआशापुर रंमिला मंच के द्वारा उसी प्राचीन पोखरे में झांकी का कार्यक्रम होता था झांकी को देख कर जनता प्रभु श्री राम को याद करते थे आज दुर्दशा के कारण झांकी नहीं हो पा रही है भी करती है, धर्मेंद्र पांडे की रिपोर्ट
आशापुर आदर्श गांव की जीवन दायिनी पोखरा उपेक्षा की शिकार