भोजन का तरीका सही तो स्वास्थ्य पर अनुकूल प्रभाव

भोजन का तरीका सही तो स्वास्थ्य पर अनुकूल प्रभाव
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1-गीले पैर भोजन करना लाभदायक ।-मनु स्मृति, अत्रिस्मृति ।
2-भोजन के पहले दोनों हाथ, दोनों पैर और मुंह धो लेना चाहिए ।-पद्मपुराण, सुश्रुत संहिता, महाभारत (शांति पर्व) 
3-संध्या (गोधूलि बेला) में कुछ न खाएं ।-सुश्रुत संहिता, पद्मपुराण
4-ठीक मध्याह्न (12 बजे) या मध्यरात्रि (12 बजे) भोजन न करें । गीले वस्त्र, टूटे पात्र, लेटे हुए भोजन न करें ।- कूर्म पुराण ।
5-भोजन सदा पूर्व या उत्तर की ओर मुख कर करना चाहिए ।-विष्णुपुराण, वशिष्ठस्मृति
6-भोजन एकांत में करना चाहिए ।-वामनपुराण, पद्मपुराण ।
7-ईंख, जल, दूध, फल, औषधि, ताम्बूल (पान), कंद बिना स्नान किए भी सेवन किया जा सकता है ।-चाणक्य नीति ।
8-सिर्फ एक वस्त्र या पूरा शरीर ढंककर भी भोजन नहीं करना चाहिए ।-महाभारत अनुशासन पर्व तथा अनेक ग्रन्थ ।
9-जूता-मोजा पहन कर किया गया भोजन विष के समान है । सिर ढंककर भी नहीं करना चाहिए ।-स्कन्दपुराण और अन्य ग्रन्थ ।
10-भोजन की वस्तु गोद में रखकर न करें ।- महाभारत, द्रोण पर्व एवं बोधायन धर्म सूत्र तथा अनेक ग्रन्थ ।
11- बिस्तर एवं आसन पर रखकर भोजन तथा जल न पीएं । हाथ में लेकर भी घूमते हुए भोजन न करें ।-सुश्रुत संहिता तथा अन्य ग्रन्थ ।
13- बरगद, पीपल,मदार, कचनार, करंज, तिन्दूक के पत्ते में भोजन न करें ।- बृहद पराशर स्मृति ।
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14- बाएं हाथ में जल और दूध लेकर नहीं पीएं ।-महाभारत द्रोण पर्व ।
15-झगड़ और क्रोध करते और सुनते भोजन न करें ।- धर्म सिंधु ।
16-भोजन की निंदा न करें । प्रसाद मानकर खाएं । कूर्म पुराण।
17-भोजन करते पूरी तरह मौन रहें ।- महाभारत शांति पर्व ।
18-पहले मीठा चीज, बीच मे नमकयुक्त, खट्टी अंत में कड़वा तिक्त (तीता) पदार्थ खाएं ।
19- शहद, दूध, दही, घी, खीर और सत्तू को छोड़कर अन्य पदार्थ थोड़ा थाली में छोड़ दें ।-विष्णु पुराण एवं अन्य ग्रन्थ ।
20-भोजन के अंत में दही न पीएं ।-महाभारत, अनु0 पर्व ।
21- रात्रि में भरपेट भोजन न करें । थोड़ा पेट खाली रखें ।-स्कंद पुराण ।
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