गंगा एक प्राकृतिक संसाधन के रूप में देश की  अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है- राज्यपाल. उत्तर प्रदेश

वाराणसी/दिनांकः 12 नवम्बर, 2019


*हिमालय से निकलकर गंगासागर तक गंगा जनमानस के लिए सिर्फ आस्था का प्रतीक ही नहीं, बल्कि एक जीवन धारा है-आनंदीबेन पटेल


*भारतीय संस्कृति में पर्वों का विशेष महत्व है*


*बाबा भोलेनाथ का यह शहर पूरी दुनिया में अनूठा है- पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)*


*यहां पर मनाए जाने वाले हर पर्व को लोग अपने अंदाज में ही मनाते हैं- डॉ नीलकंठ तिवारी*


*जान्हवी के तट असँख्य दीयों से हुए जगमग*


*असँख्य दीपको ने उतारी माँ है गंगा की आरती*


*चंद्रहार से इठलाई गंगा*


       उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मंगलवार को आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक नगरी वाराणसी के राजघाट स्थित गंगा तट पर आयोजित देव दीपावली उत्सव में उपस्थित विशाल जनसमूह का स्वागत करते हुए कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर गंगा स्नान एवं गुरु नानक जयंती तथा देव दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में पर्वों का विशेष महत्व है। "तमसो मा ज्योतिगर्मय" का प्रतीक पर्व दीपावली हमें अंधेरे से लड़ने की प्रेरणा देता है। गत 26 अक्टूबर को अयोध्या में 5 लाख 51 हजार दीपों से दीपावली उत्सव का भव्य शुभारंभ हुआ था और आज यहां वाराणसी के 84 घाटों पर 21 लाख दीपों से देव दीपावली यानी देवताओं की दीपावली मना कर उत्सव का समापन हो रहा है। वाराणसी के 84 घाटों पर प्रज्वलित दीप गंगा की छटा मनोरम, अद्भुत एवं अविस्मरणीय बना रहे हैं। देव दीपावली का यह पर्व अपने आप में एक अनोखा आयोजन है। इस प्रकार के आयोजन से हमारी उत्सवधर्मी संस्कृति को बढ़ावा मिलता है। आज यहां श्रद्धालु लोगों द्वारा लाखों दीपों को गंगा में प्रवाहित किया जा रहा है। यह एक अद्भुत एवं मनोरम दृश्य है, जिसे देखने के लिए देश और विदेश से पर्यटक यहां के घाटों पर उपस्थित हैं।
          राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि वाराणसी अत्यंत प्राचीन नगरी है और भारतीय संस्कृति, साहित्य, संगीत एवं साधना की केंद्र स्थली के रूप में यह पूरे विश्व में विख्यात है। प्राचीन काल से ही अनेक संत-महात्माओं ने काशी में अपने तब और ज्ञान से मानव कल्याण के लिए जो सार्वभौमिक संदेश दिए, वह आज भी प्रासंगिक है। इसी प्रकार यहां की जीवन रेखा के रूप में विख्यात गंगा भारत की संस्कृति, आध्यात्मिक चिंतन, जलवायु और अर्थव्यवस्था, सभी पर अपनी अमिट छाप छोड़ती है। गंगा हमारी संस्कृति एवं आध्यात्मिक चिंतन का महत्वपूर्ण भाग है। उन्होंने कहा कि हिमालय से निकलकर गंगासागर तक गंगा जनमानस के लिए सिर्फ आस्था का प्रतीक ही नहीं, बल्कि एक जीवन धारा है। गंगा एक प्राकृतिक संसाधन के रूप में देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। भारत में कृषि विभिन्न उद्योगों, परिवहन, पर्यटन आदि के रूप में आजीविका और आय में महत्वपूर्ण योगदान करने वाली गंगा की सेवाओं का आंकलन करना मुश्किल है। यह भारतीयता की पहचान है। हमें अपनी इस विरासत को स्वच्छ और निर्मल बनाए रखना है। गंगा को स्वच्छ बनाए रखने एवं इसके संरक्षण के लिए हमें केवल कानूनों पर ही निर्भर नहीं रहना चाहिए। इसके लिए एक व्यापक नागरिक संवेदनशीलता की आवश्यकता है। हमें इस पवित्र नदी की पवित्रता बनाए रखने के लिए जरूरी है कि हम इसे गंदा न करें। इसकी सफाई में हमेशा योगदान देते रहें। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो इस पावन नगरी से ही सांसद हैं, के प्रयासों से वाराणसी का तीव्र विकास हो रहा है। आजादी के बाद उतने विकास कार्य यहां नहीं हुए, जितने पिछले 5 वर्ष के दौरान हुए हैं।
          उत्तर प्रदेश के पर्यटन, संस्कृति एवं धर्मार्थ कार्य राज्यमंत्री( स्वतंत्र प्रभार) डॉ नीलकंठ तिवारी ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल सहित देव दीपावली पर्व पर मौके पर उपस्थित विशाल जनसमूह का स्वागत किया और काशी की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बाबा भोलेनाथ का यह शहर पूरी दुनिया में अनूठा है। यहां पर मनाए जाने वाले हर पर्व को लोग अपने अंदाज में ही मनाते हैं। काशी में एक नहीं अनेकों लक्खा मेला होते हैं। जिसमें लाखों-लाख लोग प्रतिभाग करते हैं। काशी के सांसद एवं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में काशी में ऐतिहासिक एवं रिकॉर्ड विकास कार्य हुए हैं।
        उन्होंने बताया कि देव दीपावली पर्व के दौरान आज गंगा के 16 घाटों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। रविदास घाट पर रामलीला, रीवा घाट पर बिरहा गायन, निषादराज घाट पर घूमर व चरी लोक नृत्य, चेत सिंह घाट पर भजन गायन, महानिर्वाणी घाट पर डांडिया लोक नृत्य, प्राचीन हनुमान घाट पर शहनाई वादन, चौकी घाट पर बांगला लोक नृत्य, राजघाट पर सूफी गायन, पांडेय घाट पर कथक नृत्य, दरभंगा घाट पर लोक गायन, सिंधिया घाट पर पंजाबी लोक नृत्य, रामघाट पर सितार व बांसुरी की युगलबंदी, लाल घाट पर भजन गायन, गाय घाट पर नाट्य मंचन, बद्रीनारायण घाट पर राजस्थानी लोक नृत्य और नंदेश्वर घाट पर लोक नृत्य का आयोजन किया जाएगा।
         इससे पूर्व उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने दीप प्रज्वलित कर विधिवत देव दीपावली कार्यक्रम का शुभारंभ एवं गंगा महोत्सव कार्यक्रम का समापन किया। इस अवसर पर उन्होंने काशी गंगा महोत्सव स्मारिका का विमोचन भी किया।
          काशी गंगा महोत्सव की श्रृंखला में आयोजित काशी देव दीपावली की सांस्कृतिक निशा में पदमश्री भजन सोपोरी विश्वविख्यात संतूर वादक भजन सोपोरी एवं विश्वविख्यात सूफी गायक पदमश्री  हंसराज हंस ने शमा बांधे रखा।