घटना के 12 घंटे पहले प्रदीप को पुलिस ने उठाया,8:09 बजे शाम उच्चाधिकारियों को परिजनों ने भेजा मैसेज,रात में पुलिस ने दिखाई मुठभेड़

*पुलिस मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए मुख्यमंत्री व आईजी को दरखास्त* 


*मुख्यमंत्री व आईजी को दरखास्त देकर उच्च स्तरीय जांच कराने व पुलिस कर्मियों पर कार्यवाही की मांग*
जौनपुर-पुलिस मुठभेड़ में इनामी प्रदीप यादव को गिरफ्तार करने का दावा कर रही पुलिस अपने ही चक्रव्यूह में फंसती नजर आ रही है। दीवानी न्यायालय सोमवार को पहुंचे प्रदीप के गांव के लोग व परिजनों ने मुख्यमंत्री व आईजी को दरखास्त भेजा जिसमें पचासों की संख्या में गांव वालों ने भी हस्ताक्षर किया था और मुठभेड़ को फर्जी बताया। 


प्रदीप के भाई आशीष व गांव वालों द्वारा दरखास्त दी गई है कि दिनांक 17 नवंबर 2019 को दोपहर में लाइन बाजार थाने के दो सिपाही मोटरसाइकिल से प्रदीप के घर आए और उसे जबरन बैठा करते लगे जिसका गांव के भोले,कृपाशंकर आदि लोगों ने विरोध किया लेकिन पुलिस वाले प्रदीप को जबरन मोटरसाइकिल से लेकर चले गए।सभी लोग लाइनबाजार पहुंचे लेकिन वहां प्रदीप नहीं मिला।विशाल यादव के मोबाइल से रात 8:09 पर मुख्यमंत्री व मानवाधिकार आयोग,डीएम व एसपी को प्रार्थना पत्र लिखकर व्हाट्सएप के जरिए यह सूचना दिया कि पुलिस ने प्रदीप को दिन में उठा लिया और उसके साथ कोई अनहोनी घटना घट सकती है या किसी अपराध में फंसाया जा सकता है।


    सोमवार को एसपी द्वारा दिए गए बयान की जानकारी सोशल मीडिया से मिली जिसमें एसपी ने कहा कि प्रदीप के पैर में  पुलिस मुठभेड़ में गोली लगी है।आरोप है कि पुलिस ने 12:30 बजे रात रसैना मोड़ पर मुठभेड़ की घटना दिखाते हुए उसे फर्जी मुकदमे में फंसा दिया। आशीष ने मुख्यमंत्री व आईजी से मांग किया है कि मामले की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए और प्रदीप को गोली मारने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाए।