पीएफ घोटाले पर बोले ऊर्जा मंत्री, सपा सरकार में लिखी गई भ्रष्टाचार की पटकथा, ईडी भी करेगी जांच


  
यूपी के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने यूपीसीएल (उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन लिमिटेड) में कर्मचारियों के भविष्य निधि के निवेश में हुए भ्रष्टाचार पर प्रेस कांफ्रेंस करते हुए कहा कि फाइनेंस कंपनियों में निवेश का निर्णय एक दिन में नहीं लिया गया। इसकी पटकथा 2014 में सपा राज में लिखी गई थी। मामले में ईडी भी जांच करेगी।


उन्होंने कहा कि 21 अप्रैल 2014 को हुई ट्रस्ट बोर्ड की बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि बैंक से इतर अधिक ब्याज देने वाली संस्थाओं में भी निवेश किया जा सकता है। इसी फैसले को आधार बनाकर हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों में निवेश की प्रक्रिया दिसंबर 2016 में प्रारम्भ की गई।


उन्होंने बताया कि दीवान हाउसिंग फाइनेंस कंपनी लिमिटेड (DHFL) में निवेश 17 मार्च 2017 से प्रारंभ किया गया। अनियमितता के संबंध में 10 जुलाई 2019 को पॉवर कारपोरेशन के अध्यक्ष को शिकायत प्राप्त हुई थी। जिस पर 12 जुलाई 2019 को निदेशक वित्त की अध्यक्षता में जांच के आदेश दिये गए। मामले पर जांच समिति ने 29 अगस्त 2019 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।


जांच रिपोर्ट में सामने आया कि मामले में गंभीर वित्तीय अनियमितता की गई है जिसमें भारत सरकार के निवेश नियमों का सीधे तौर पर उल्लंघन किया गया। जिस पर 1 अक्टूबर 2019 को मामले की विस्तृत जांच हेतु पॉवर कारपोरेशन की सतर्कता विंग को निर्देशित किया गया। 10 अक्टूबर 2019 को ट्रस्ट के तत्कालीन सचिव पीके गुप्ता को निलंबित कर विभागीय जांच के निर्देश दिये गए।


मामले में आपराधिक मामला दर्ज कराने का भी निर्णय लिया गया
ऊर्जा मंत्री ने बताया कि विजिलेंस विंग की संस्तुति के आधार पर प्रकरण में आपराधिक मामला दर्ज कराने का निर्णय लिया गया। मामले में 2 नवंबर 2019 को मामले में हजरतगंज कोतवाली में सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया।


उन्होंने बताया कि मामले में दो अफसरों को गिरफ्तार किया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सीबीआई जांच की सिफारिश करते हुए डीजीईओडब्ल्यू को भी जांच के आदेश दिए।


ऊर्जा मंत्री ने कहा, मामले में जो भी अधिकारी दोषी होंगे सरकार उनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही करेगी। उन्होंने भरोसा दिलाया कि किसी भी कर्मचारी का अहित नहीं होगा। पावर कार्पोरेशन सभी देयों का भुगतान करेगा।