नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ दूसरी अनौपचारिक शिखर वार्ता के लिए जहां चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग शुक्रवार को भारत पहुंच रहे हैं, वहीं कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है। पार्टी का कहना है कि सरकार चीन के साथ गलबहियां कर रही है, जबकि इस मुल्क ने भारत की कई एकड़ जमीन हथिया रखी है और सीमा पर भी लगातार तनातनी के माहौल बनाए रखता है।
शी के भारत दौरे से पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को अपनी '56 इंच की छाती' दिखानी चाहिए और चीन के राष्ट्रपति से 'आंखों में आंखें डालकर' बात करनी चाहिए। उन्होंने जम्मू एवं कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के अहम प्रावधानों को निरस्त करने के बाद चीन द्वारा पाकिस्तान के समर्थन का हवाला देते हुए मौजूदा वक्त में शी के साथ दूसरी अनौपचारिक शिखर वार्ता के औचित्य पर भी सवाल उठाए।
उन्होंने ट्वीट कर पीएम मोदी से यह भी कहा कि वह महाबलिपुरम (मामल्लापुरम) में शी से मिलें तो उनसे कम से दो बातें जरूर कहें। सिब्बल ने अपने ट्वीट में कहा, 'शी जिनपिंग अनुच्छेद 370 पर इमरान खान का समर्थन करते हैं, ऐसे में मोदी जी मामल्लापुरम में उनकी आंखों में आंखें डालकर बोलिये : 1) पीओके में कब्जे वाली 5000 किलोमीटर की भूमि खाली करो। 2) भारत मे 5जी के लिए चीनी कंपनी हुवेई की जरूरत नहीं।
कांग्रेस नेता ने तंज भरे लहजे में कहा, 'अपनी 56 इंच की छाती दिखाइए! या फिर यह हाथी के दांत खाने के कुछ और दिखाने के कुछ और जैसा है।' उनका बयान ऐसे समय में आया है, जबकि कश्मीर पर भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है और इन्हीं तनावपूर्ण परिस्थितियों के बीच शी भारत आ रहे हैं। शी के भारत दौरे से ठीक पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने चीन का दौरा किया था। यह एक साल के भीतर इमरान का तीसरा चीन दौरा था।
इमरान के इस दौरे और बीजिंग में शी के साथ उनकी बैठक के बाद जारी बयान में चीन ने यह भी कहा कि वह कश्मीर के हालात पर 'करीब से नजर' बनाए हुए है। शी के भारत दौरे से ठीक पहले चीन के इस बयान से असहज स्थिति भी पैदा हुई, लेकिन भारत ने साफ कर दिया कि कश्मीर उसका आंतरिक मामला है, जिसमें किसी तीसरे देश को दखल देने या टिप्पणी करने की आवश्यकता नहीं है।
पीएम मोदी और शी की दूसरी अनौपचारिक शिखर वार्ता में कश्मीर का मुद्दा उठेगा या नहीं, इस पर स्थिति साफ नहीं है। हालांकि भारत ने साफ कर दिया है कि वह कश्मीर का मुद्दा नहीं उठाएगा, पर यदि चीन की तरफ से इस बारे में कोई बात की जाती है तो उसका सख्ती से जवाब दिया जाएगा।