बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी की एमपी-एमएलए कोर्ट ने खारिज की जमानत


     प्रयागराज। विधायक मुख्तार अंसारी की अर्जी एमपी एमएलए कोर्ट ने खारिज कर दी है। अर्जी दाखिल कर व्यक्तिगत हाजिरी को माफ करने और वीडियो कांफ्रेसिंग से कार्यवाही करने की याचना की गई थी।
 विशेष न्यायाधीश डॉ. बाल मुकुंद की कोर्ट ने आदेश में यह भी कहा है कि मामले में आरोप तय किया जाना है। इसकी पत्रावली 1990 से लंबित है। लिहाजा आरोप तय होने की तिथि पर अभियुक्त की उपस्थिति अनिवार्य है।
  पंजाब के रोपड़ जेल में बंद होने के कारण मुख्तार को प्रोडक्शन वारंट के जरिए समन किया जाए। आरोपित के विरुद्ध 13 जनवरी 2020 को आरोप तय होगा। कोर्ट ने इस दिन अभियुक्त को पेश होने का आदेश दिया गया है।
   मुख्तार अंसारी मऊ जिले की सदर विधानसभा सीट से विधायक हैं। 
  अधिवक्ता ताराचंद गुप्ता ने तर्क रखा कि मुख्तार अंसारी 1996 से 2017 तक जनता द्वारा विधायक चुने गए। उन्हें राजनीतिक रंजिश के चलते झूठे मुकदमे में फंसाया गया है। वह 2005 से जेल में बंद हैं।
  2001 में वह अपने घर युसुफपुर जा रहे थे, तभी रास्ते में माफिया बृजेश सिंह, त्रिभुवन सिंह ने गैंग के साथ एके-47 से हमला किया था। बृजेश ने बिहार के आरा जेल में बंद अपराधी को पांच करोड़ रुपये की सुपारी दी थी। बृजेश सिंह वर्तमान में एमएलसी हैं।
   अभियुक्त को पूर्व मंत्री मनोज सिन्हा और स्पेशल टॉस्क फोर्स के आइजी अमिताभ यश से जानमाल का खतरा है। सरकारी वकील गुलाब चंद्र अग्रहरि, जीजे उपाध्याय, राजेश गुप्ता, श्यामधर द्विवेदी ने तर्क रखा कि अभियुक्त जनमानस में दुर्दांत अपराधी है। दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 228 में संशोधन का कोई अस्तित्व नहीं है।
  अभियुक्त के उपस्थित न होने के कारण आरोप तय नहीं हो सकता है। उसके खिलाफ इस कोर्ट में कई मुकदमे विचाराधीन है।