वाराणसी, ।सर्व प्रगति ट्रस्ट द्वारा वेदांती बाग में श्रीकृष्ण भक्ति की बयार बह रही है । भव्य कलशों एवं पताकाओं से सजे वेदांती बाग में आध्यात्मिकता की सहज अनुभूति होती है । श्री सीताराम संकीर्तन अयोध्या से आये संतों द्वारा प्रारम्भ हुआ । भागवत महापुराण के संस्कृत श्लोकों का पारायण आचार्य रामानंद के द्वारा जब होता है तो पूरा परिवेश संस्कृतमय हो जाता है ।
कथा के द्वितीय दिवस कथा प्रसंग में कथावाचक आचार्य कृष्णाशीष चतुर्वेदी "कन्हैया" जी महाराज ने बताया कि 'जीवन दुःखों से भरा होता है, कदम कदम पर कष्टों का प्रहार होता रहता है । ऐसी परिस्थिति में सुखानुभूति का मार्ग सिर्फ भगवान के चरित्र से ही प्राप्त होता है । प्रभु के चरित्र का आचरण इस लोक को तो उदान्त बनाता ही है साथ ही भावपूर्वक सुनी गई कथा भवसागर से भी पार लगाती है । आचार्य श्री ने बताया कि प्रभु का चरित्र चीर काल चिंतनीय, अनुकरणीय और स्मरणीय है और हमेशा रहेगा ।'
पूर्वाचार्य स्वामी परमहंस जी महाराज की पुण्यस्मृति में चल रही कथा के आयोजक वेदांतीबाग पीठाधीश्वर महंत सियाबल्लभ शरण दास जी कहा कि 'समरसता को समर्पित इस कथा में हम सामाजिक कुरीतियों को जैसे बहन-बेटियों की इज्जत न करना, अपशब्दों का प्रयोग करना आदि भावों को जड़ से उखाड़ फेकने का संकल्प लेना होगा । यही संकल्प सभ्य और सांस्कृतिक समाज का निर्माण करेगा ।'
कार्यक्रम में महंत सर्वेश्वर शरण दास, देवरामदास पुजारी, अंजनी पाण्डेय, सत्यम द्विवेदी, केशव शर्मा, रामानुज शरण शास्त्री, राघवेंद्र, सत्यम वर्मा, उत्तम, अजय, अनिकेत, नन्दलाल मौर्य आदि लोग मौजूद रहे ।
भवसागर से तरने का साधन है भागवत कथा