हैदराबाद मुठभेड़ पर बंटे पुलिस अधिकारी


बेंगलुरु-मुंबई, छह दिसंबर (एएनएस) हैदराबाद की पशु चिकित्सक से सामूहिक बलात्कार एवं उसकी हत्या मामले के चार आरोपियों को मुठभेड़ में मार गिराने की घटना को शुक्रवार को जहां कई मौजूदा और पूर्व पुलिस अधिकारियों ने सही ठहराया है, वहीं कुछ ने इसकी निंदा की।
कर्नाटक में बेंगलुरु के पुलिस आयुक्त भास्कर राव ने मुठभेड़ का बचाव करते हुए इसे 'सही और वक्त पर की गई कार्रवाई' करार दिया। राव ने कहा कि यदि आरोपी हिरासत से फरार हो जाते तो पुलिस पर बेहद दबाव बढ़ जाता।


राव ने कहा, '' हैदराबाद/साइराबाद पुलिस की कार्रवाई सही और समय पर की गई। कोई दूसरी राय नहीं हो सकती है। अगर वे (आरोपी) हिरासत से भाग जाते तो वे (पुलिस) जर्बदस्त दबाव में आ जाती। यह घटना जांच के दौरान हुई है और इसका बचाव करने की जरूरत है। साइबराबाद पुलिस ने जरूरी कार्रवाई की है।''


उन्होंने बेंगलुरु में पत्रकारों से कहा, '' जांच के दौरान अपराध के घटनाक्रम की पुनर्रचना के दौरान आरोपियों ने पुलिस की हिरासत से भागने की कोशिश की जिसके बाद यह सख्त कार्रवाई की गई।''


उन्होंने कहा कि तेलंगाना की राजधानी में पिछले महीने घटित हुई दिल दहला देने वाली घटना कहीं भी हो सकती है और पुलिस पर मामले को हल करने का दबाव होता है।


आईपीजी और बेंगलुरु नगर पुलिस के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (प्रशासन) निम्बलकर ने कहा, '' सोशल मीडिया थोड़ा सब्र करो! बलात्कार का अपराध और आज की मुठभेड़ दो अलग अलग तथ्य हैं। जैसा कहा गया है यह आत्म रक्षा में किया गया कदम है न कि बलात्कार के आरोपियों को सजा है। तेलंगाना पुलिस कानूनी जांच के दायरे में आती है। जिनका विश्वास लोकतंत्र और कानून की व्यवस्था में है, उन्हें इंतजार करना चाहिए।''


उत्तर प्रदेश के बागपत से भाजपा के सांसद और मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त सत्यपाल सिंह ने मुठभेड़ को सही ठहराया ।


उन्होंने ट्विटर पर कहा, '' दिलेरी के साथ स्थिति से निपटने के लिए मैं हैदराबाद पुलिस को बधाई देता हूं। अगर आरोपी हिरासत से भाग जाते तो यह खाकी पर बड़ा धब्बा होता। जय हिंद।''


वहीं, महाराष्ट्र के पूर्व पुलिस महानिदेशक डी शिवानंदन ने हैदराबाद के बलात्कार एवं हत्या मामले के आरोपियों को 'मुठभेड़' में मार गिराए जाने की निंदा की। शिवानंदन ने कहा कि इस तरह के 'शॉर्ट कट' लंबे अरसे में अपराध को रोकने में मदद नहीं करेंगे।


1976 बैच के आईपीएस अधिकारी ने कहा, '' मुठभेड़ के बाद थोड़े समय के लिए पुलिस की तारीफ की जा सकती है लेकिन यह लंबे समय के लिए अच्छी नहीं है।''


मुंबई में उनके कार्यकाल के दौरान 1990 के दशक में गैंगस्टरों के साथ कई मुठभेड़ें हुई थी।


26/11 आतंकी हमले के बाद मुंबई पुलिस की अगुवाई करने वाले शिवानंदन ने यह भी कहा कि प्रौद्योगिकी की मदद से महिलाओं के खिलाफ अपराध रोकने के उपाय करना बेहतर है।


मुंबई पुलिस के एक अन्य शीर्ष अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, '' जो भी हुआ वो नहीं होना चाहिए था, खासकर तब जब आरोपी पुलिस की हिरासत में थे।''


गौरतलब है कि हैदराबाद में पशु-चिकित्सक से सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में गिरफ्तार किए गए चार आरोपी शुक्रवार सुबह पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे गए। पुलिस आरोपियों को घटनाक्रम की पुनर्रचना के लिए घटनास्थल पर ले गई थी।
साइबराबाद पुलिस आयुक्त सी वी सज्जनर ने संवाददाताओं को बताया कि उनके कर्मियों ने तब ''जवाबी'' गोलीबारी की जब दो आरोपियों ने पुलिसकर्मियों से हथियार छीनकर पुलिस पर गोलियां चलायीं।


उन्होंने कहा कि आरोपियों में शामिल मोहम्मद आरिफ ने सबसे पहले गोलियां चलायीं। वहीं आरोपियों को घटनास्थल पर लेकर गई 10 सदस्यीय पुलिस टीम पर पत्थर एवं अन्य चीजों से भी हमला किया गया।