नहीं भूलनी चाहिए  अपनी संस्कृति- नव योगेंद्र स्वामी

नहीं भूलनी चाहिए  अपनी संस्कृति
नव योगेंद्र स्वामी ने दिया  धर्म और संस्कृति पर व्याख्यान

जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के प्रो राजेंद्र सिंह रज्जू भइया  भौतिकीय  विज्ञान अध्ययन एवं शोध संस्थान के आर्यभट्ट सभागार में मंगलवार की देर शाम इस्कॉन के वर्तमान आचार्य ऊधमपुर, जम्मू कश्मीर के परम पूज्य नव योगेंद्र स्वामी जी महाराज ने विश्वविद्यालय के शिक्षक , विद्यार्थियों और कर्मचारियों के बीच धर्म और संस्कृति पर अपना विशेष व्याख्यान दिया ।


    उन्होंने कहा कि भारत धर्म सापेक्ष था मगर राजनीतिज्ञों ने इसे धर्मनिरपेक्ष बना दिया। उन्होंने कहा कि धर्म से ही देश और वहां की  संस्कृति का विकास होता है। धर्म (नियमों) का पालन करने वाला मानव सच में भगवान का असली भक्त होता है। उन्होंने कहा जीवन में चार चीज सभी जीव करते हैं आहार, निद्रा, भय, मैथुन। मनुष्य  धर्म  नियमों का पालन करता है और पशु नहीं। उन्होंने विश्व के कई देशों का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां धर्म और संस्कृति ना होने के कारण मानव पशु जैसा जीवन व्यतीत कर रहा है।


   स्वामी जी ने कहा कि मानव को कभी अपनी संस्कृति को नहीं भूलना चाहिए । हमारे देश पर सैकड़ों वर्षों तक मुगलों और अंग्रेजों ने शासन किया। उन्होंने  हमारे सभी मूल्यों पर आघात किया लेकिन हमारी संस्कृति ने इस देश को टूटने नहीं दिया और उनको वापस जाना पड़ा।


  ..उन्होंने अमेरिका, इंग्लैंड ,अफ्रीका और वेस्टइंडीज का उदाहरण देते हुए कहा कि यहां के लोग भी अब भगवान को मानने लगे हैं और वह शराब, मांस , मछली तो दूर लहसुन, प्याज जैसी तामसिक चीजों को छोड़कर वैष्णव हो रहे हैं। यही धर्म मानव को नर्क से बचाएगा उन्होंने कहा कि मनुष्य का जीवन इंद्रियों के तर्पण के लिए नहीं मिला है।


    व्यक्ति का कर्म उसके साथ आता है और उसी के साथ जाता है। स्वामी जी ने कहा शरीर का सुख भोगने वाले के लिए बार-बार मृत्यु और जन्म का कोई मतलब नहीं है। जो भोग में लग जाते हैं वही रोग की चपेट में आ जाते हैं। इस दौरान वहां उपस्थित लोगों ने धर्म, ईश्वर और संस्कृति से जुड़े कई सवालों को पूछकर अपनी जिज्ञासा शांत की।


   स्वामी जी ने वहां उपस्थित शिक्षकों को श्रीमद्भागवत गीता  भेंट की और प्रतिदिन सभी से एक श्लोक पढ़ने को कहा। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ राजाराम यादव ने कहा कि  स्वामी जी का लगाव विश्वविद्यालय , विद्यार्थी और शिक्षकों के साथ हमेशा रहा है। मुझे काफी लंबे समय की प्रतीक्षा के बाद ऐसे आध्यात्मिक शिखर पुरुष को इस विश्वविद्यालय में बुलाने का अवसर मिला।


   मैं विश्वविद्यालय परिवार के बीच नैतिक और अध्यात्मिक संचार को  मुखरित होते देखना चाहता हूँ। । उन्होंने कहा कि स्वामी जी सिद्ध संत हैं उनके मुंह से निकला शब्द कुछ दिन बाद ही जीवन में चरितार्थ होने लगता है। उन्होंने सभागार में उपस्थित शिक्षकों से सीधा संवाद किया एवं उनकी जिज्ञासाओं को शांत किया। समारोह का संचालन डॉ मनोज मिश्र और धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर बीबी तिवारी ने किया।


    इस अवसर कुलसचिव सुजीत कुमार जायसवाल, वित्त अधिकारी एमके सिंह, प्रो विलासराव तभाने, प्रो. अशोक  श्रीवास्तव, प्रो,अजय प्रताप सिंह, प्रो.वंदना राय, प्रो अविनाश पाथर्डीकर, प्रो.रामनारायण, डॉ.राजकुमार, डॉ.संतोष कुमार, डॉ.दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ. सुनील कुमार, डॉक्टर सचिन अग्रवाल, डॉ.अवध बिहारी सिंह, डॉ मनीष गुप्ता, डॉ. गिरधर मिश्र, डॉ. पुनीत धवन , डॉ. जान्हवी श्रीवास्तव, अनु त्यागी, डॉ मनोज पांडेय आदि उपस्थित थे।