जौनपुर। दिल्ली के रानी झांसी रोड इलाके में स्कूल बैग बनाने के कारखाने में आग से 43 लोगों की मौत को लेकर लोग स्तंभित है। वही सम्बन्धित विभागों द्वारा रिहायषी इलाके में इस कारखाने के संचालन ने भी अनेक प्रकार सवाल खड़े कर दिये है। उक्त घटना के परिपेक्ष्य में देखा जाय तो जनपद के संकरी गलियों और मोहल्लों में अनेक प्रकार के अवैध कारखाने बेरोक टोक चलाये जा रहे है। चाहे वे बिस्कुट के कारखाने हो अथवा बीड़ी या चांदी गलाने के नियम विरूद्ध कारखाने को रोकने में प्रषासन नाकाम रहा है।
अनेक बार अवैध पटाखों के कारखानों में आग से विस्फोट हुए और लोगों की मौत भी हुई बावजूद इसके इस प्रकार के कारखानों को खंगालने और उसपर षिकन्जा कसने के लिए कोई रणनीति और व्यवस्था को अंजाम नहीं दिया जा सके। यहां भी इस प्रकार की घटना होने से इन्कार नहीं किया जा सकता जहां ऐसे कारखाने चल रहे है जहां दमकल की गाड़ियां नही पहुंच सकती।
जिला मुख्यालय पर इस प्रकार के कारखानों की भरमार है। अनेक मोहल्लों में बिस्कुट और बीड़ी तथा कई प्रकार के कारखाने बिना लाइसेन्स के और प्रषासन की बगैर जानकारी के धड़ल्ले से चलते आ रहे है। यहां तो गलियों में दर्जनों की संख्या में स्कूल और अस्पताल भी चल रहे है जहां दमकल क्या कोई भी चार पहिया वाहन नहीं पहुंच सकता। इस दुव्र्यवस्था के लिए कौन जिम्मेदार है और किसकी जबाब देही है। प्रषासन के अधिकारी भी कभी इस समस्या पर निर्देष नहीं देते।
जब बड़ी घटनायें होती है तो इसकी चर्चा होने तक बात सीमित रहती है। बताते है कि खाद्य विभाग की लापरवाही के कारण नमकीन, बिस्कुट, चाकलेट, सोनपपड़ी आदि के कई दर्जन कारखाने बिना लाइसेन्स के चल रहे है। कही कहीं ऐसे कारखानों में दर्जनों लोग कार्यरत है। यहां न कभी छापा पड़ता है और न कभी किसी प्रकार के टैक्स आदि के विभाग ही पहुंचते है। बांट विभाग कुंभकर्णी निद्रा है।
इस विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों की गतिवविधि पूरे साल नहीं दिखाई देते जिसकी वजह से कल कारखाना, पेट्रोलपंपों और दुकानों पर घटतौती की आये दिन षिकायते मिल रही है। कभी किसी बाजार और अन्य स्थानों पर बांट विभाग छापेमारी करता नहीं दिखता। इसके कर्मचारी वेतन लेकर मौज करते रहते है। प्रषासन भी इस ओर ध्यान नहीं देता।