चाटूँ ख़ुद ही थूक के,बकलोली है काम.....पढ़ें गोलोक विहारी राय का बेहतरीन व्यंग

*विहारी षट्पदी*


इठलाता युवराज हूँ,आँखें मारूँ यार,
नाम अलग इस देश में,चोरों का सरदार।१।


चाटूँ ख़ुद ही थूक के,बकलोली है काम,
गाँधी को गंधा रहा,बूझो मेरा नाम।२।



रहो जागते तुम सदा,कहता चौकीदार,
भूत अंधेरी रात के,डंसने को तैयार।३।


टोपी, तिलक, जनेउ ले,रचे अनोखे स्वांग,
गद्दारी नस नस भरी,पी जयचंदी भाँग।४।



कजरा रोवै चीख कै,कोइला शर्रमसार,
काले काले भेड़िये,हाथ जोड़ तैय्यार।५।


टुकड़े-टुकड़े गा रहे,वन्दे-मातरम मौन,
गद्दारी नोटों भरी,देश सोचता कौन।६।


गोलोक विहारी राय 


RSS प्रचारक एव राष्ट्रीय महामंत्री राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच