व्यक्तित्व की सच्चाई एवं लेखन की गंभीरता के लिए सदैव याद किये जायेंगे गिरिराज किशोर

वाराणसी। 
गिरिराज किशोर जी का जाना हिंदी जगत में एक बड़ा शून्य का होना है। समय के साथ शून्य भर जाता है और उसे भरने का कार्य भी ऐसे बड़े रचनाकरों का लेखन ही होता है।
अर्दली बाजार ( एलटी कालेज) स्थित
राजकीय जिला पुस्तकालय में  प्रसिद्ध कथाकार गिरिराज किशोर के निधन पर साहित्यकारों द्वारा उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई। शोक सभा की अध्यक्षता नवगीतकार ओम धीरज ने की।शिवकुमार पराग ने कहा कि गिरिराज जी ने विपुल लेखन किया है विभिन्न प्रशासनिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए मौन रूप से लेखन कार्य करते रहे। उनमें व्यक्तित्व की सच्चाई थी। केशव शरण ने कहा कि उनकी प्रारम्भिक कहानियों में कामभावना की प्रधानता थी किन्तु समय के साथ उनका लेखन गंभीर होता गया। संतोष जी ने 'अभिमन्यु अनत' के उपन्यास  'गांधी जी बोलते थे' का संदर्भ लेते हुए अपनी दक्षिण अफ्रीका की यात्रा के संस्मरण सुनाए। डॉ सीमान्त प्रियदर्शी ने कहा कि गिरिराज जी का लेखन सदैव प्रेरणा देता रहेगा।