प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रेरणा ले युवाओं ने शुरू की "भूखे की रसोई"


कानपुरः- कोरोना के कहर से जहां एक और पूरा भारत दंश झेल रहा है। वहीं दूसरी ओर कई समाजसेवी संगठन व समाज सेवक सामूहिक रूप से जरूरतमंदों तक मदद पहुंचा रहे हैं।
कोरोना जैसी महामारी में लॉक डाउन के दौरान जहां एक ओर सारी दुकाने बंद है। हालांकि प्रशासन द्वारा तय समय-सीमा पर  दुकाने खोलने को लेकर दिशा-निर्देश भी जारी किए गए हैं।


   वही दूसरी ओर रोजगार की दिक्कत से गरीब पूरी तरह से टूट गया है। ऐसे जरूरतमंदों की मदद के लिए समाज के कुछ युवाओं ने मिलकर बीड़ा उठाया है।जो क्षेत्र के प्रबुद्ध जनो के सहयोग से भोजन बनाकर उनको जरूरतमंदों तक पहुंचा रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रेरणा ले युवाओं ने इस मुहिम का नाम "भूखे की रसोई" रखा।जो कानपुर के पनकी रतनपुर क्षेत्र में संचालित हो रही है।युवाओं द्वारा आसपास के क्षेत्रों में भोजन की व्यवस्था की जा रही है। "भूखे की रसोई" की खास-बात यह है कि इसमें में गृह जनपद से दूर रह रहे व्यक्तियों द्वारा भी मदद की जा रहीं हैं। जिसमें उड़ीसा में रह रहे "संतोष सिंह विशेन" द्वारा प्रमुख रूप मदद मुहैया कराया जा रही हैं।


   सामग्री हेतु ई पेमेंट के माध्यम से जरूरतमंदों की मदद की गई। वहीं फोन के माध्यम से संतोष सिंह द्वारा बताया गया कि आवश्यकता अनुसार मदद करते रहेंगे।
भूखे की रसोई में किसी एक व्यक्ति का नाम लेना गलत होगा।


   रसोई में क्षेत्रीय लोगों भी बढ-चढ कर मदद कर रहे हैं।
 संचालक "धर्मेन्द्र सिंह" द्वारा बताया गया कि "भूखे की रसोई" नाम से संचालित यह रसोईं किसी एक व्यक्ति की नहीं है यह समस्त पनकी वासियों की है। यदि आवश्यकता पड़ती है तो इसका और विस्तार किया जायेगा। रसोई के एक और सदस्य "संदीप शर्मा" ने बताया कि भूखे की रसोई के माध्यम से लॉक डाउन के समस्त दिनों तक इसकी व्यवस्था सुचारू रूप से चलती रहेगी और जरूरतमंदों तक भोजन पहुंचता रहेगा।


   साथ ही वितरण के दौरान असहायों व जरूरतमंदों की फोटो नही खींची जाएगी।क्षेत्रीय जनता को "भूखे की रसोई" के लिए जागरूक करने में व खाद्य सामग्री एकत्रित करने में रसोई के सदस्य "अमित श्रीवास्तव" का अहम योगदान रह। रसोई में कार्यरत कारीगर भी निशुल्क सेवाभाव से कार्य कर रहे हैं।