आयुर्वेद में शाकाहार भोजन को क्यों बताया गया है सकारात्मक ऊर्जा का संचारक, जानें आपकी भावनाओं पर क्या होता है इसका असर

    क्या आपको गुस्सा ज्यादा आता है? या फिर आपको बिना किसी खास बात के बैचेनी होती है? आपके साथ अगर ऐसी समस्याएं होती हैं, तो आपको अपने भोजन में बदलाव करने की आवश्यकता है। आयुर्वेद में शाकाहार को व्यक्ति के भीतर मौजूद ऊर्जा को सकारात्मक बनाए रखने का उल्लेख किया गया है। शाकाहार भोजन की ऐसी कई विशेषताएं बताई गई हैं, जो मांसाहार में नहीं मिलती। आइए, जानते हैं खास बातें


-शाकाहारी भोजन की आदत सेल्फ कंट्रोल पैदा करने में मदद करती है।  इसका अर्थ यह है कि आप स्वंय को नियंत्रित कर सकते हैं। आयुर्वेद के अनुसार हम सभी में एक ऊर्जा मौजूद है। शाकाहार से भोजन उस ऊर्जा को सकारात्मकता की ओर ले जाया सकता है। वहीं, खुद की भावनाओं को नियंत्रित भी किया जा सकता है। 



-शाकाहारी भोजन वसा में कम होते हैं। मांसाहार भोजन में तेल और वसा की अधिकता होती है इसलिए इनका रोजाना सेवन शरीर में वसा को जमा देता है, जिससे हमारी सक्रियता कम हो जाती है। वसा कम होने से हमारा शरीर ज्यादा क्रियाशील बना रहता है। 



-फाइबर के अधिक स्रोत शाकाहारी भोजन में पाए जाते हैं। फाइबर खाने को पचने में सहायता करता है, कब्ज से बचाता है और पेट साफ करने में मदद करता है। शरीर के अंदर दूषित पदार्थों को भोजन से दूर करता है। कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और दिल की बीमारी के खतरे को रोकता है।



-प्रकृति में शाकाहारी भोजन को सात्विक माना जाता है। सात्विक को शांति, एकाग्रता, सभी के लिए प्यार, मन में आशावाद जैसे महान गुणों के लिए जाना जाता है। उन लोगों को शाकाहार को जरूर अपनाना चाहिए, जिन्हें गुस्सा ज्यादा आता है। आयुर्वेद के अनुसार शाकाहार से क्रोध और निराशा उत्पन्न करने वाले हार्मोन को कंट्रोल किया जा सकता है।