भारत भर में 'नौगजा पीर' की कथा....

भारत भर में 'नौगजा पीर' की कथा....


दिल्ली-आगरा हाईवे पर स्थित फरीदाबाद शहर से आगे निकल कर कोई 10 किमी. चलने पर एक छोटा सा गुर्जर बाहुल्य गाँव पड़ता है 'सीकरी'! 


इस गाँव में ठीक हाईवे की दाईं ओर एक किसी पीर की मज़ार है जिसकी लम्बाई नौ गज होने से उसे 'नौगज़ा पीर' के नाम से जाना जाता है! 


यदि आप किसी वीरवार को हाईवे पर इस स्थान से गुजरें तो भीड़ के कारण इस स्थान को पार कर आगे बढ़ने में आपको काफी परेशानी उठानी पड़ेगी!


अक्सर हाईवे से गुजरते हुए मैं यह तमाशा और भेड़-बकरियों की सी भीड़ के मूर्खतापूर्ण अँधे जूनून का प्रकटीकरण देखता आया हूँ!


अब क्योंकि ये पीर-मज़ार, साईं, सर्वधर्म समभाव, अमन की आशा, सफ़ेद कबूतर सदा से सहन करने की मेरी मानसिक क्षमताओं से बहुत परे रहे हैं, सो मन में आया कि इसके बारे में जाना जाए! ये मुझे स्पष्ट था कि है तो कोई गाजी जेहादी ही, जो वहाँ दबा पड़ा है, सो जानकारी का दिशा-निर्धारण तो तय था ही...


तो अब जानिये लोबान में महकती हरी चादरों में लिपटी इन पीरों-मजारों में से एक और का घृणास्पद बदबूदार इस्लामिक इतिहास और समझिये-समझाइये नादान लोगों को....


किसी युग में कृषि-प्रधान भारत में एक पद हुआ करता था 'क्षेत्रपाल' जो किसानों से कृषि-कर वसूल कर राजा को देता था! बाद में मुस्लिम युग आया तो भूमिकर यानी लगान वसूलने वाला क्षेत्रपाल से हो गया 'भूमिया' जिसके ऊपर एक अफसर होता था जो सुरक्षा के नौ गज के घेरे में चला करता था जैसे आजकल जेड श्रेणी की सुरक्षा होती है, ठीक वैसे ही!


तवारीख़-ए-निजामशाही में स्पष्ट वर्णन है कि जब भूमिया किसी से कर वसूलने में असमर्थ होता था तो जैसाकि इस्लामिक परम्परा है, लगान के एवज़ में वह उस घर की जवान बेटी अथवा महिला को उठाकर ले जाता और उसे अपने उसी नौगज़ा सुरक्षा घेरे वाले अफसर को पेश करता! 


सबके सामने नौ गज की उसी सुरक्षा के दायरे में इस्लामिक रीतियों से उस हिन्दू स्त्री का शील-हरण किया जाता!


आप समझ सकते हैं कि सुरक्षा के उस घेरे में कोई कदम नहीं रखता था, ठीक जैसे आप आज नहीं रख सकते, फिर बाद में भूमिया उसे अपना शिकार बनाता था!


आज उसी चरित्रहीन अफसर की कब्र को 'नौगजा पीर समझ सबसे अधिक हिन्दू औरतें ही उसे पूज रही हैं और उन पर चादरें चढ़ाती हैं!


अब समय आ गया है हम जानें कि शैतान के पुजारी ये पीर-फ़कीरे असल में कौन हैं?? इसे ही सांस्कृतिक आक्रमण कहा जाता है, जो इस्लाम हिन्दू-धर्म पर करता आया है और कर रहा है!


तुम्हारे पूर्वजों के साथ अत्याचार करने वाले दरिन्दे थे ये 
और उन्हीं की तुम मिट्टी