*यूपी-गोरखपुर*
हवाई जहाज से भी महंगा पड़ा ट्रक का किराया
*मुंबई से प्रति मजदूर तीन हजार वसूले...*
*झांसी में उतारकर भाग गया ट्रक वाला*
लॉकडाउन में घर वापसी की होड़ में लगे मजूदरों के लिए आवश्यक सामानों की ढुलाई कर रहे ट्रक ही आसरा बने हुए हैं। ट्रक वालों के लिए ये मजदूर कमाई का ऐसा ज़रिया बन चुक हैं कि वे ‘हवाई जहाज’ जैसा किराया वसूल रहे हैं। मजबूर मजदूर ये किराया अदा करने के बाद भी मंजिल पर नहीं पहुंच पा रहे हैं, क्योंकि ट्रक उसी रूट पर उन्हें छोड़ रहा है जहां तक उसे अनुमति है। बाकी का सफर फिर पैदल या दूसरे ट्रकों से करना नियति बन चुकी है। गोरखपुर,महराजगंज और कुशीनगर के ऐसे करीब 63 मजदूरों ने अपने सफर का अनुभव साझा किया तो हाईवे के इस ‘व्यवसाय’ से पर्दा उठा। झांसी जिला प्रशासन ने रोडवेज बस से उन्हें यहां तक पहुंचाने का इंतजाम किया।
नौसढ़ चौराहे से 63 मजदूरों का जत्था देख ‘यूपी जागरण ’ ने उनसे बातचीत शुरू की तो उनकी पीड़ा सामने आ गई। भूख-प्यास से तिलमिला रहे मजदूर इतने थके थे कि उनकी आवाज भी ठीक तरह से नहीं निकल रही थी।
इनमें शामिल महराजगंज के धानी बाजार फरेन्द्रा के विमल कुमार ने बताया कि वह बंगलुरु में पेंट पालिश का काम करता था। लाकडाउन के दो दिन पहले मुम्बई अपने साथी से मिलने गया। वहीं फंस गया। उसने बताया कि हम 63 मजदूर पैदल ही चल दिए। करीब 40 किलोमीटर पैदल चलने के बाद एक राजस्थान का ट्रक मिला। उससे हम मजदूरों ने गुहार लगाई गोरखपुर छोड़ने के लिए। उसने दो लाख रुपये मांगे। हम सभी ने आपस में चंदा लगाकर उसे 1.89 लाख रुपये दिए।
इसके बाद उसने सभी को ट्रक में बैठाया। उपर से तिरपाल डाल दिया। उसने झांसी ट्रक रोककर कहा आप सभी उतर कर कुछ खा-पी लो। इसके बाद यहां से चलते है। वहां एक स्वयंसेवी संस्था भोजन व पानी का पैकेट बांट रही थी। हम मजदूर वहां गए तो उसने सभी को भोजन व पानी का पैकेट मुहैया कराया। इसी दौरान ट्रक चालक हमें छोड़कर भाग खड़ा हुआ। उसने गोरखपुर तक छोड़ने के लिए 1.89 लाख रुपये लिए थे। प्रति मजदूर 3 हजार किराया दिया गया। चालक ने सभी को झांसी में उतार दिया। इसके बाद हम मजदूर बस स्टेशन पर पहुचे। झांसी जिला प्रशासन ने हमे बस में बैठाकर रवाना कर दिया। नौसढ चौक से हम सभी पैदल ही अपने घर के लिए चल दिए है।
*हवाई जहाज से भी महंगा पड़ा ट्रक का किराया*
मुम्बई से लखनऊ तक का हवाई जहाज का किराया अमूमन 3 से 4 हजार के बीच होता है। यहाँ तो माल ढोने वाले ट्रक ने इन बेबस मजदूरों से हवाई जहाज से ज्यादा किराया वसूल किया। लाकडाउन में ट्रक चालक ने हम मजदूर को ठग लिया।
*जानवर जैसे भरे गए थे मुसाफिर*
ट्रक से आने वाले परगापुर फरेन्द्रा के सुरेन्द्र ने बताया कि ट्रक में जानवर की तरह आदमी ठूंस कर भरे गए थे। ऊपर से तिरपाल डालकर ढंक दिया गया था। आदमी आराम से बैठ भी नहीं सकता था।
*काम न आया हेल्पलाइन...*
ट्रक से आए मजदूरों ने बताया कि सरकार उन्हें लाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन चला रही है। लेकिन उसकी हकीकत यह है कि 3 मई से 3 बार ऑनलाइन आवेदन करने के बावजूद उन्हें हेल्पलाइन से कोई मदद नही मिली। एक बार आवेदन करने में 300 से 500 तक खर्च हुए। लेकिन हेल्पलाइन से कोई कन्फर्मेशन काल तक नही आई। मजबूरन हम मजदूर पैदल व ट्रको पर सवार होकर घरों के लिए निकल पड़े।