कोरोना पीड़ित के अंतिम दर्शन से परिजनों ने किया इंकार

 


जौनपुर। मुंगराबादशाहपुर के क्वारंटीन सेंटर में दम तोड़ने वाले मजदूर के परिजनों को उसका अंतिम दर्शन भी नसीब नहीं हो पाया। कोरोना की पुष्टि के बाद जब लेखपाल परिजनों को अंतिम दर्शन कराने के लिए शव के पास तक ले जाने गांव पहुंचा तो उन्होंने वहां जाने से इंकार कर दिया। उनकी लिखित सहमति के बाद प्रशासन ने देर शाम स्वास्थ्य विभाग की निगरानी में अमोध गांव में ग्राम सभा की भूमि पर दाह संस्कार कराया। यहां अभी शव आधा ही जला था कि गांव वालों ने विरोध शुरू कर दिया, उन्होंने पथराव भी किया। बाद में पुलिस वालों ने उन्हें समझाया तब शांत हुए।


परिवार के लिए ढेर सारी खुशियां और सपने खरीदने के लिए जफराबाद के नाथूपुर का का युवक रोजगार की तलाश में घर से सैकड़ों किमी दूर मुंबई गया था। अनजाने में उसे कोरोना जैसी महामारी ने चपेट में ले लिया। बीमार ने घर लौटने की कोशिश की, लेकिन तापमान अधिक होने से उसे एक बार स्टेशन से लौटा दिया गया। दोबारा दवा खाकर वह तापमान नियंत्रित करते हुए ट्रेन में सवार होने में कामयाब रहा। वह मुंबई से जौनपुर तक तो आ गया, लेकिन बीमारी ने उसे अपनों तक पहुंचने नहीं दिया।


  मुंगराबादशाहपुर के क्वारंटीन सेंटर में शुक्रवार सुबह उसकी मौत की खबर मिलने के बाद परिजन शव के अंतिम दर्शन को बेताब हो गए थे, मगर जब उन्हें बीमारी की जानकारी हुई तो सतर्कता दिखाते हुए लोगों की सलाह पर उन्होंने वहां न जाने का फैसला लिया।


   युवक के परिवार में पत्नी, मां, तीन वर्ष का पुत्र है। उसके दोनों बड़े भाई भी घर से बाहर हैं। प्रशासन ने उन्हें शव तक ले जाने के लिए लेखपाल को गांव भेजा, मगर उन्होंने वहां जाने से इंकार कर दिया। तहसीलदार ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति का शव उसके परिजनों को नहीं सौंपा जा सकता। प्रोटोकॉल के तहत उन्हें सिर्फ दूर से ही अंतिम दर्शन कराया जा सकता है। इसके लिए लेखपाल को गांव भेजा गया था, मगर उन्होंने जाने से इंकार कर दिया।


   मछलीशहर एसडीएम अमिताभ यादव ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के निर्देशन में देर शाम अमोध गांव में दाह संस्कार कर दिया गया। यहां गांव वालों ने अंतिम संस्कार का विरोध किया। पथराव भी किया। बाद में पुलिस वालों ने उन्हें समझाकर शांत किया। ग्रामीणों का कहना था कि कोरोना की बीमारी उनके गांव में भी फैल सकती है।