PPE किट के निर्माण में ग्लोबल हब बनेगा भारत



नई दिल्ली.कोरोनावायरस से लड़ाई में अभी भले ही भारत पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई)किट की सप्लाई के लिए विदेशों की तरफ देख रहा है, लेकिन आने वाले दिनों में हम इसके निर्माण में अगुवा होंगे। यदि केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय की इससे संबंधित परियोजना परवान चढ़ी तो शीघ्र ही यहां हर रोज लाखों पीपीपी बनने लगेंगे। केंद्र सरकार की इस परियोजना में देश भी के करीब 2000 अपैरल निर्यातकों ने रूचि ली है। ऐसा होने पर न सिर्फ भारत पीपीई के लिए आत्मनिर्भर हो सकेगा, बल्कि यहां से दुनिया भर के बाजार में आपूर्ति भी हो सकेगी।
कपड़ा मंत्रालय के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि इस दिशा में सरकार बीते अप्रैल से ही सक्रिय है। यहां गुणवत्तापूर्ण पीपीई के निर्माण के लिए अत्याधुनिक मशीनें विदेशी बाजारों से मंगवाने का मार्ग प्रशस्त किया जा रहा है। उन्हें बेहतर टेक्निकल टैक्सटाइल की आपूर्ति के इंतजाम किए जा रहे हैं। साथ ही पीपीई बनाने वाली अत्याधुनिक मशीनों पर काम करने वाले व्यक्तियों को भी प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसमें अपेरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (एईपीसी), साउथ इंडिया टेक्सटाइल रिसर्च एसोसिएशन (सिट्रा)और इंडियन टेक्निकल टेक्सटाइल असोसिएशन (ITTA) का भी सहयोग मिल रहा है।
*2000 अपैरल निर्यातक पीपीई बनाने को इच्छुक*


एईपीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बीते शनिवार को यहां पीपीई किट के निर्माण पर एक वेबिनार का आयोजन हुआ था, जिसमें करीब 2000 अपेरल एक्सपोर्टर्स शामिल हुए थे। इस दौरान बताया गया कि अगले एक साल के दौरान सिर्फ भारत में ही करीब 10000 करोड़ रुपये के पीपीई की मांग होगी। इसके अलावा विदेशी बाजारों में वर्ष 2025 तक यह कारोबार 60 बिलियन डॉलर तक पहंच जाने की उम्मीद है। इसलिए इसका उत्पादन भी बेहतर रिटर्न देने वाला काम हो सकता है।


*फिलहाल निर्यात पर प्रतिबंध*


एईपीएसी के अध्यक्ष ए. शक्तिवेल का कहना है कि यूं तो अभी फ्रंटलाइन हेल्थ वर्करों के लिए आवश्यक पीपीई उत्पादों में से कई के निर्यात पर प्रतिबंध है। लेकिन जब सरकार को लगेगा कि घरेलू मांग को पूरा करने के लिए देश में पर्याप्त उत्पादन हो रहा है तो इसके निर्यात की भी अनुमति मिल जाएगी। इस तरह का अनुरोध सरकार से पहले ही किया जा चुका है। हालांकि इसके निर्माण के लिए अत्याधुनिक मशीनों का आयात करना होगा।
*ऐंटी चाइना सेंटिमेंट भारत के पक्ष में*


आईटीटीए के अध्यक्ष के.एस. सुंदररामन का कहना है कि अभी दुनियाभर में एंटी चीन सेंटीमेंट चल रहा है। भारतीय निर्माताओं के लिए यह एक अवसर है कि वह इस सेंटीमेंट को भुनाते हुए वैश्विक बाजारों में पहुंच बढ़ाए। अच्छी बात यह है कि भारत के पास एक विस्तृत घरेलू बाजार भी है और वैश्विक बाजार तो है ही। उन्होंने अपेरल निर्माताओं से कहा है कि पीपीई किट बनाने से पहले वे उन डॉक्टरों तक पहुंचें जो इसका उपयोग करते हैं। उनसे मिल कर सांस लेने के व्यावहारिक पहलुओं को समझें, और उसी अनुरूप किट बनायें। यदि एक बार ये ग्राहक संतुष्ट हो जाते हैं तो फिर दुनिया के बाजार तक पहुंचने में देर नहीं लगेगी।
*कुछ लोग अवैध तरीके से बना रहे हैं किट*


अधिकारियों का कहना है कि पीपीई किट कमी को देखते हुए कुछ लोग हाईजेनिक मापदंडों को ताक पर रखकर अवैध तरीके से नकली किट तैयार कर रहे हैं। इससे कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे कई योद्धाओं की जान भी संकट में फंस गई है। इस तरह की गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए कपड़ा मंत्रालय ने पीपीई किट निर्माण के लिए एक नोटिफिकेशन जारी किया है।
*क्या है नोटिफिकेशन में?*


इसमें कहा गया है कि जो भी कंपनी पीपीई किट तैयार करेंगी, उन्हें कपड़ा मंत्रालय से मंजूरी लेनी होगी। कपड़ा मंत्रालय ने इसके मानक भी निर्धारित किए हैं। तैयार किट का पहले प्रयोगशाला में टेस्ट होगा। इसके लिए देश में दो प्रयोगशालाएं अधिकृत हैं। इनमें साउथ इंडिया टेक्सटाइल रिसर्च असोसिएशन का कोयंबटूर स्थित लैब और दूसरा ग्वालिर स्थित डिफेंस रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (डीआरडीई) का लैब। वहां परीक्षण में खरे उतरने बाद ही निर्माता को मंत्रालय से हरी झंडी मिलेगी।