वित्तीय संकट से उबरने के लिए यूपी सरकार ने लिया कई खर्चों में भारी कटौती का फैसला

                                                                                         लखनऊ, 19 मई (एएनएस)। कोविड-19 के संक्रमण को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन से उत्पन्न वित्तीय संकट से उबरने के लिए प्रदेश सरकार ने अब कई खर्चों में भारी कटौती की है। बहुत जरूरी होने पर ही कोई नया निर्माण कार्य शुरू होगा। विभागों द्वारा वाहनों की खरीद पर रोक लगा दी गई है। नए पदों के सृजन पर भी रोक लगाई गई है। अप्रासंगिक पद समाप्त करने के आदेश दिए गए हैं। इसके साथ ही कार्यालय व्यय, यात्रा व्यय, स्टेशनरी, अवकाश यात्रा सुविधा आदि के खर्चों में 25 फीसदी की कटौती की गई है। 


अपर मुख्य सचिव वित्त संजीव कुमार मित्तल ने खर्चों में कटौती से संबंधित शासनादेश सोमवार को जारी किया। शासनादेश में कहा है कि लाकडाउन से सरकार के राजस्व में भारी कमी आई है। इस स्थिति में संसाधनों के समुचित उपयोग तथा कैश प्रबंधन के लिए यह फैसले लिए गए हैं।
सीधे आम जनता को लाभ पहुंचाने वाली राज्य में चल रही केंद्र सहायतित योजनाओं के लिए केंद्रांश के सापेक्ष राज्यांश की धनराशि सरकार जरूरत के मुताबिक चरणों में उपलब्ध कराएगी। विभागों को राज्य पोषित योजनाओं की समीक्षा करने के निर्देश दिए गए हैं। जो योजनाएं बहुत जरूरी हों सिर्फ उन्हीं को चलाया जाए। ऐसी योजनाएं जो बहुत जरूरी नहीं हैं उन्हें स्थगित करने पर विचार किया जाए। 
विभागों को निर्देश दिया गया है कि अप्रासंगिक हो गए पदों को चिन्हित कर समाप्त करें। इन पदों पर तैनात कर्मचारियों को रिक्त पदों पर समायोजित किया जाए। नए पदों का सृजन विभाग नहीं करेंगे। विभागों में सलाहकार, अध्यक्ष, सदस्य आदि अस्थाई प्रकृति के पदों पर नियुक्तियां की जाती हैं। इनके लिए सहयोगी स्टाफ की व्यवस्था के लिए नए पदों का सृजन नहीं करने को कहा गया है। सरप्लस स्टाफ अथवा आउटसोर्सिंग से सहयोगी स्टाफ का प्रबंध करने को कहा गया है।
कार्यालय व्यय, यात्रा व्यय, स्थानांतरण यात्रा व्यय, अवकाश यात्रा सुविधा, कंप्यूटर अनुरक्षण, स्टेशनरी की खरीद, मुद्रण व प्रकाशन, विज्ञापन एवं प्रचार-प्रसार तथा वर्दी व्यय के मद में उपलब्ध धनराशि के सापेक्ष खर्च में 25 फीसदी कमी करने का आदेश दिया गया है। विभागों द्वारा नए वाहनों की खरीद पर रोक लगा दी गई है। आउटसोर्सिंग से वाहनों को अनुबंधित करने को कहा गया है। सरकारी वाहनों के अनुरक्षण और ईंधन के खर्चों को कम करने को कहा गया है। चेतावनी दी गई है कि इस मद में बजट का दुरुपयोग न किया जाए।
सम्मेलन, सेमिनार, कार्यशालाओं के आयोजन के लिए शासकीय भवनों तथा परिसर का ही उपयोग करने के निर्देश दिए गए हैं। ऐसे आयोजनों को होटलों में करने पर रोक लगाई गई है। ये समस्त निर्देश सरकारी विभागों के साथ ही स्थानीय निकायों, स्वायत्तशासी संस्थाओं, प्राधिकरणों तथा राज्य विश्वविद्यालयों में भी लागू होंगे।