उज्जैन । श्रावण मास में सोमवार को भगवान महाकाल की दूसरी सवारी निकलेगी। भक्तों को दो रूपों में भगवान के दर्शन होंगे। अवंतिकानाथ चांदी की पालकी में मनमहेश और हाथी पर चंद्रमौलेश्वर रूप में सवार होकर नगर भ्रमण के लिए निकलेंगे। मंदिर प्रशासन इस बार भी नए मार्ग से सवारी निकालेगा।
दोपहर बाद 3.30 बजे मंदिर के सभा मंडप में कलेक्टर आशीष सिंह भगवान के मनमहेश रूप का पूजन कर पालकी को नगर भ्रमण के लिए रवाना करेंगे। मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र बल की टुकड़ी अवंतिकानाथ को सलामी देगी।
इस बार सोमवार को रहेगी राखी
बता दें कि इस बार सावन का महीना बहुत ही ज्यादा शुभ माना जा रहा है। सावन के चौथे सोमवार यानी 27 जुलाई को सप्तमी उपरांत अष्टमी तिथि रहेगी। साथ ही चित्रा नक्षत्र व साध्य योग होने से यह सोवार संकल्प सिद्घि व संकटों की निवृत्ति के लिए खास बताया गया है। रक्षाबंधन पर दिन भर श्रवण नक्षत्र श्रावणी पूर्णिमा रक्षा बंधन पर सुबह उत्ताराषाढ़ा के बाद श्रवण नक्षत्र रहेगा। तीन अगस्त को रक्षाबंधन पर श्रवण नक्षत्र का होना महा शुभफलदायी माना जाता है। इस नक्षत्र में भाई की कलाई पर राखी बांधने से भाई, बहन दोनों के लिए यह दीर्घायु व सुख समृद्घि कारक माना गया है।
इस तरह करें महाकाल की पूजा
सावन महीने में महाकाल की पूजो को लेकर महाकाल मंदिर के पं. महेश पुजारी ने बताया कि आम दिनों में सुबह 10.30 बजे भोग आरती में भगवान को दाल, चावल, रोटी, सब्जी, मिष्ठान्न आदि का नैवेद्य लगाया जाता है, लेकिन शनि प्रदोष पर अवंतिकानाथ उपवास रखते हैं। इस दिन सुबह भोग आरती में भगवान को फलाहार में दूध अर्पित किया जाता है। शाम 7.30 बजे संध्या आरती में भगवान को नैवेद्य लगाया जाता है। सुबह मंदिर के गर्भगृह में 11 ब्राह्मण वेद ऋ चाओं से भगवान का अनुष्ठान पूजन करते हैं।