J& K Article 370: विकास की वैक्सीन से खत्‍म होगा जम्‍मू-कश्‍मीर में आतंक

  कुपवाड़ा(जम्मू-कश्मीर)। अनुच्छेद 370 और 35ए के खात्मे और जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित राज्य बनने के बाद विकास की तेज हुई रफ्तार ने आतंकियों को हाशिये पर धकेलना शुरू कर दिया है। बड़ी संख्या में स्थानीय और विदेशी आतंकियों की सक्रियता के कारण कभी 'मिनी पाकिस्तान' कहे जाने वाले कुपवाड़ा में इसे साफ देखा जा सकता है। यहां एक भी व्यक्ति स्वायत्तता या आजादी की चर्चा करता नहीं मिला, बल्कि सभी विकास योजनाओं की कमी की शिकायत करते मिले। कुपवाड़ा के डिप्टी कमीश्नर अंशुल गर्ग इसे जनता की बढ़ी हुई उम्मीदों का परिणाम बताते हैं। 


कुपवाड़ा में अशांति फैलाने की हरसंभव कोशिश कर रहा है पाकिस्‍तान 


     कुपवाड़ा जिले के हंदवाड़ा में तैनात एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि कभी यह जिला स्थानीय आतंकियों की नर्सरी कहा जाता था। लेकिन आज के समय में यहां केवल तीन स्थानीय आतंकी ही बचे हैं। सुरक्षा एजेंसियां उन्हें भी तलाशने में जुटी है। उनके अनुसार पाकिस्तान के साथ सबसे लंबी 173 किलोमीटर की नियंत्रण रेखा वाले इस जिले से आतंकियों की घुसपैठ अब भी जारी है।


      मई के पहले हफ्ते में विदेशी आतंकियों के साथ मुठभेड़ में सेना के कर्नल और मेजर समेत पांच सुरक्षाकर्मियों की मौत इस बात का सबूत है कि पाकिस्तान कुपवाड़ा में अशांति फैलाने की हरसंभव कोशिश कर रहा है। लेकिन स्थानीय समर्थन के अभाव में आतंकी दूसरे जिलों का रूख कर लेते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि गोलियों और बमों के धमाके के साये में पले-बढ़े युवाओं ने अब इससे मुंह मोड़ना शुरू कर दिया है।


खेलकूद, पढ़ाई और अन्य रचनात्मक कामों में लगना चाहते हैं युवा 


कुपवाड़ा के लंगेड़ ब्लॉक के ब्लॉक डवलपमेंट कमेटी के चेयरमैन शौकत हसन पंडित कहते हैं कि यहां के युवा खेलकूद, पढ़ाई और अन्य रचनात्मक कामों में लगना चाहते हैं। बीडीसी चेयरमैन बनने के बाद सरकार के सहयोग से पिछले एक साल भीतर शौकत पंडित लगभग आठ एकड़ में खेल का मैदान बनाने में सफल रहे। आज इसमें 40-50 गांव के हजारों बच्चे क्रिकेट और फुटबॉल खेलने आते हैं। हर दिन कोई न कोई मैच हो रहा होता है। अब वे यहां फ्लड लाइट लगाने की योजना बना रहे हैं, ताकि बच्चे शाम को वॉलीबॉल खेल सकें।



कुपवाड़ा जिला सेव की खेती के लिए भी जाना जाता है। यहां हर साल तीन लाख मीट्रिक टन सेव का उत्पादन होता है। लेकिन परंपरागत सेव के पौधों की उत्पादकता काफी कम होने के कारण किसानों की स्थिति दयनीय बनी हुई थी। परंपरागत सेव की जगह विदेशी सेव के पौधों को लगाने की अब तक की कोशिशें सफल नहीं रहीं।


इटली से उच्च उत्पादकता वाले सेव के पौधे लगाए जाएंगे 


केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद इटली से उच्च उत्पादकता वाले सेव के पौधों को यहीं विकसित कर सब्सिडी पर इन्हें किसानों को उपलब्ध कराने की योजना परवान चढ़ी है। कुपवाड़ा के बागबानी विभाग के प्रमुख फारूख अहमद के अनुसार परंपरागत सेव के पौधों में आठ साल में फल लगते हैं, इटली से लाए गए ये पौधे दो साल में ही फल देने लगते हैं। प्रति एकड़ उत्पादकता भी परंपरागत पौधों से 10 गुना अधिक है। सरकार की योजना आनेवाले सालों में सेव की परंपरागत पौधों को नए पौधों से पूरी तरह बदलने की है।



जाहिर है ये यहां के किसानों की खुशहाली का आधार बन सकता है। कुपवाड़ा समेत पूरे जम्मू-कश्मीर में पिछले एक साल के विकास के कामों की पूरी फेहरिस्त है। इसके अनुसार एक साल के भीतर 10 हजार नई नौकरियां दी जा चुकी हैं और अगले कुछ महीने 25 हजार और नियुक्तियां होने वाली हैं। इस दौरान सालों से लटकी कई पुरानी परियोजनाओं को पूरा किया गया, जिनमे राजधानी श्रीनगर के दो फ्लाईओवर भी हैं।