सीमा पर तनातनी के बीच शंघाई सहयोग संगठन (SCO Summit) में भाग लेने मॉस्को गए विदेश मंत्री एस. जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच गुरुवार की रात द्विपक्षीय वार्ता हुई। दोनों नेताओं के बीच यह वार्ता करीब ढाई घंटे तक चली। इसमें भारत ने स्पष्ट कर दिया कि वह सीमा पर तनाव को बढ़ाना नहीं चाहता है।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी ने बृहस्पतिवार को मास्को में चार महीने से पूर्वी लद्दाख में सीमा पर जारी गतिरोध और बढ़ते तनाव को लेकर बातचीत की। पिछले एक सप्ताह से भी कम वक्त में दोनों देशों के बीच यह दूसरी उच्चस्तरीय द्विपक्षीय वार्ता है।<br>
सरकारी सूत्रों के अनुसार, भारत ने एलएसी पर चीनी सैनिकों की भारी संख्या में तैनाती को लेकर चिंता व्यक्त की है। भारत ने इस मुद्दे पर कहा है कि चीनी सैनिकों की इतनी बड़ी संख्या का बॉर्डर पर मौजूद होना 1993 और 1996 में हुए समझौते का उल्लंघन है और चीनी पक्ष ने इस तैनाती के लिए अभी तक कोई ठोस कारण नहीं बताया है।
भारतीय विदेश मंत्री ने यह स्पष्ट किया कि भारत एलएसी पर जारी तनाव को और नहीं बढ़ाना चाहता है और चीन के प्रति भारत की नीति पहली वाली स्थिति में ही है। भारत का यह भी मानना है कि चीन के प्रति भारत की नीति में भी किसी तरह का बदलाव नहीं हुआ है।
चीन का रुख
सूत्रों के मुताबिक, वार्ता समाप्त होने के बाद चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि दो पड़ोसी देश होने के नाते यह बहुत स्वाभाविक है कि चीन और भारत में कुछ मुद्दों पर असहमति है, लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि उन असहमतियों को सही नजरिए से देखा जाए।
वहीं चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि चीन और भारत के संबंध एक बार फिर दोराहे पर खड़े हैं। लेकिन जब तक दोनों पक्ष अपने संबंधों को सही दिशा में बढ़ाते रहेंगे, तब तक कोई परेशानी नहीं होगी और ऐसी कोई भी चुनौती नहीं होगी जिसको हल नहीं किया जा सकेगा।
मई की शुरुआत में वस्तविक नियंत्रण रेखा पर शुरू हुए गतिरोध के बाद दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच यह पहली आमने-सामने की मुलाकात थी। गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय और चीनी सैनिकों में झड़प के कारण वहां गहरे हुए गतिरोध और बढ़ते तनाव की पृष्ठभूमि में यह बातचीत हो रही है।
इससे पहले, एससीओ सम्मेलन से विदेश मंत्री जयशंकर ने रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से भी मुलाकात की थी औऱ दोनों देशों के बीच संबंध और मजबूत करने सहित कई मुद्दे को लेकर वार्ता हुई। इस मुलाकात की फोटो ट्वीट करते हुए जयशंकर ने लिखा, लावारोव की मेजबानी में हुई रूस, चीन और भारत के विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल हुआ। लावारोव के शानदार आतिथ्य के लिए धन्यवाद। भारत ने तीनों देशों के समूह की अध्यक्षता संभाली।