उत्तर प्रदेश में कोरोना मरीजों की संख्या लगातार बढ़ने और उनके फेफड़ों में संक्रमण व सांस लेने में तकलीफ से ऑक्सीजन की मांग डेढ़ से दो गुना बढ़ गई है। ज्यादा मरीजों को वेंटिलेटर पर रखने और मृत्यु दर कम करने की कवायद से ऑक्सीजन की खपत ज्यादा हो रही है। वहीं वेंटिलेटर के स्थान पर हाई फ्लो नोजल कैंडुला मशीन के ज्यादा इस्तेमाल से मृत्युदर कम हुई है, हालंकि ऑक्सीजन की खपत ज्यादा हो रही है।
इसमें ऑक्सीजन की खपत 50 से 60 लीटर प्रति मिनट हो जाती है।
प्रदेश में कोरोना मरीजों का आंकड़ा तीन लाख 30 हजार के पार पहुंच गया है। रोज प्रदेश में औसतन 6,500 से 7,000 नए मरीज सामने आ रहे हैं। इनमें ज्यादा गंभीर मरीजों को फेफड़ों में संक्रमण हो रहा है। प्रदेश के अपर मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा डॉ रजनीश दुबे ने बताया कि मरीजों के जीवन की रक्षा के लिए ज्यादा से ज्यादा संक्रमितों को वेंटिलेटर पर रखा जा रहा है। एक अगस्त को जो ऑक्सीजन की खपत हो रही थी, वह अब डेढ़ गुना हो गई है। इसकी एक मुख्य वजह हाई फ्लो नोजल कैंडुला मशीन भी है। इसके जरिये मृत्यु दर कम कर के 1.44 से 1.42 पर लाई गई है, जो देश में सबसे कम है।
लखनऊ में जहां रोजाना 3000 से 3500 सिलेंडर की जरूरत पड़ती थी, वहीं अब रोज 1500 और सिलेंडर लग रहे हैं। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के ड्रग इंस्पेक्टर बृजेश कुमार के मुताबिक कोविड के गंभीर मरीज बढ़े हैं। इस वजह से ऑक्सीजन की खपत में भी इजाफा हुआ है। यही हाल कानपुर, गोरखपुर, वाराणसी और प्रयागराज में भी है। इन जिलों के भी कोविड अस्पतालों में ऑक्सीजन की खपत मरीजों की बढ़ती संख्या के साथ बढ़ गई है लेकिन इसके बावजूद ऑक्सीजन की किल्लत जैसी कोई बात नहीं है।