समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा और आरएसएस दोनों का चरित्र संदिग्ध पाया जाता है। इनकी कथनी और करनी में जमीन आसमान का अंतर पाया जाता है। कहने को बड़े-बड़े वादे, मीठी-मीठी बातें किन्तु हकीकत में झूठ और कुप्रचार ही दिखाई देता है। मुख्यमंत्री जी न तो किसानों-नौजवानों का हित कर पाए हैं और नहीं बहू-बेटियों की इज्जत बचा पाते हैं। हर तरह से असफल भाजपा सरकार प्रदेश की जनता पर भार बन गई है।
मुख्यमंत्री जी को विपक्ष से शिकायतें ही शिकायतें हैं। हर समय उन्हें अपनी कुर्सी जाने का डर सताता है। कभी उन्हें कोई साजिश दिखती है तो कभी विपक्ष के पास विज़न न होने की शिकायत होती है। जबकि सच्चाई इसके उलट है। साजिश रचने में भाजपा की महारत में तनिक भी किसी को संदेह नहीं। अफवाहबाजी में उनका जवाब नही। रही बात विजन की तो भाजपा का विजन साफ है, समाज को बांटना और नफरत पैदाकर सामाजिक सद्भाव को नष्ट करना है। मुख्यमंत्री जी को इधर-उधर की बहानेबाजी छोड़कर बताना चाहिए कि उत्तर प्रदेश साढ़े तीन वर्षों में तबाही के रास्ते पर क्यों चला गया?
उत्तर प्रदेश में सरकारी झूठ का ताजा नमूना है कि अच्छी क्वालिटी के धान का अधिकतम सरकारी रेट 1888 रूपये प्रतिकुंतल निर्धारित है जबकि किसान 1000 से लेकर 1300 रूपए प्रति कुंतल तक बेचने को मजबूर है। क्या किसान की दुगनी आय का यही तरीका है? किसान को अगली फसल बोने के लिए खाद, बीज, डीजल, कीटनाशक की जरूरत पर कर्ज लेना ही होगा? जब कर्ज से उबरने का कोई तरीका नहीं दिखता है तो किसान आत्महत्या कर लेता है।
महाराजगंज सदर के ग्राम मौजा पोस्ट चेहरी पिपरा रसूलपुर सदर के विकासखण्ड सदर के किसानों ने पाइनियर कम्पनी का अच्छा बीज समझकर 360 रूपए प्रति किलो के हिसाब से खरीद कर खेत में धान की रोपाई की, किन्तु बाली निकलने के बाद उसमें दाने नहीं आये हैं। अब किसान क्या करें?
पढ़ा लिखा नौजवान मारा-मारा घूम रहा है। प्रदेश में न तो पूंजी निवेश हो रहा है और नहीं नए उद्योग लग रहे है। रोजगार के अवसर सृजित होने के बजाय बाधित होते जा रहे है। भर्तियों का हल्ला है पर छंटनी का जोर है। स्कूल कालेज बंद है पर अभिभावकों पर फीस जमा करने का दबाव है। गांवों में बिजली नहीं, नेट कनेक्शन नहीं, लैपटाप-स्मार्टफोन नहीं पर सरकार ऑनलाइन पढ़ाई के कसीदे पढ़ रही है।
हाथरस में एक बार फिर हैवानित हुई है। इगलास में 6 साल की बच्ची से रेप और इलाज के बीच बेटी को दम तोड़ देना अत्यंत दुःखद। एक बेटी पर हुए अत्याचार को विपक्षी साजिश बता आधीरात में उसका शव जलाने वाली निर्लज्ज सरकार अब क्या बहाना पेश करेगी, यूपी में जंगलराज की तस्वीर देखिए- मथुरा में पुस्तक व्यवसायी की हत्या, कानपुर देहात में लापता युवक की हत्या, कौशाम्बी में छेड़खानी का विरोध करने पर महिला की हत्या, बरेली में छात्रा का अपहरण कर बलात्कार, गोरखपुर में दिव्यांग किशोरी से दुष्कर्म।
उत्तर प्रदेश में अपराधों की बाढ़ आई हुई है। जनता त्रस्त है। राष्ट्रीय अपराध ब्यूरों के आंकड़े बताते हैं कि हर 15 मिनट में यहां रेप की एक घटना हो रही है। महिलाओं के साथ अपराध वर्ष 2018 में 59445 थे जो वर्ष 2019 में 59853 की संख्या में पहुंच गए। कानून व्यवस्था का भारी संकट है। पता नहीं राज्यपाल महोदया इसका स्वतः संज्ञान ले रही हैं या नहीं? उन्हें अपने संवैधानिक दायित्व का पालन करते हुए केन्द्र को प्रदेश के बिगड़ते हालात पर संस्तुति तो भेजनी ही चाहिए।
भाजपा और आरएसएस दोनों का चरित्र संदिग्ध है,इनकी कथनी और करनी में जमीन आसमान का अंतर है- पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव